Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 673
________________ मरुगुर्जर जैन साहित्य धर्मघोषसूरि (पूर्णिमागच्छीय) नयसिंहगणि (वडतपागच्छीय) ४९० ४१४ धर्मदास ४०४ नरपति ४१४ धर्मदासगणि १६५ नरशेखर (पिप्पलकगच्छीय) ४१६ धर्मदेव (कवि) ५६९ नरसिंह मेहता ५७० धर्मदेव (पौर्णमिकगच्छीय) ४०५ नरसीमेहता २३५ धर्मदेवगणि ६०१ नरसेन २५२ धर्मप्रभाचार्य १३३ नरोत्तमस्वामी ८१ धर्मरुचि (उपकेशगच्छीय) ४०६ । नर्मद (कवि) १५५. धर्मसमुद्र ५६९ नल (नृपति) १२१ धर्मसमुद्र (वाचक) ४०० नाथूराम प्रेमी ७,८ धर्मसागर (संडेरगच्छीय) ४१० नानाक पण्डित ११७ धर्मसागरसूरि (संडेरगच्छीय) नामदेव ३२१ नामवरसिंह २५ धर्मसिंहगणि (तपागच्छीय) ४११ नेमिकुञ्जर ४१७ धर्मसुन्दर ४११ नेमिचन्द्र भण्डारी १२८, १४९ धर्मसुन्दर वाचक (खरतरगच्छीय- नेमिचन्द्र भण्डारी (कवि) १०४ पिप्पलकशाखा) ४०८ न्यायसुन्दर उपा० ४१६ धर्मसूरि १३३, १८१ न्यायसुन्दरउपा० (खरतरगच्छीय) धर्महंस (उपकेशगच्छीय) ४०६ ४१६ धवलदेव १४० पउम (कवि) १८२. धारिसिंह १८१, २१८ पतंजलि २५ नंदिरत्न ४६५ पद्म (कवि) १८२ नंदिरत्न (तपागच्छीय) २६९ पद्मकीर्ति ४६, ९२ नन्द (नृपति) १२७ पद्मगुप्त ६४ नन्दिवर्द्धनसूरि ४१४ पद्मतिलक २५३ नन्नसूरि ६०२ पद्मदेव ७६ नन्नसूरि (कोरंटगच्छीय) ४११, पद्मनंदि २३४, ४५४ पद्मनन्दि (सरस्वतीगच्छ के भट्टानमिसाधु २७ रक) २८७ नयचन्द्र २५२ पद्मनाथ १५४, ४१८, ५९५ नयचन्द्रसूरि २२४, २४२, ५८९ पद्ममन्दिरगणि (खरतरगच्छीय) नयनन्दि ४४ ४१८ ६०१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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