Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 676
________________ लेखक नाम-परिचय ६५९. भुवनसुन्दरसूरि २९८ महेन्द्रसूरि [कृष्णर्षिगच्छीय] भुसुक ६१ २२२. २२४ भूधरदास [कवि] ९८ महेन्द्रसूरि [नागेन्द्रगच्छीय] १३९ भैयाभगवतीदास १०४, ३१७ महेन्द्रसूरि [बृहद्गच्छीय] १२६ भैरइदास [कवि] २६० महेश्वरसूरि ११७, ११८, १५६, भोज [परमार नृपति] ६४ १८७ मंगलधर्म [रत्नाकरगच्छीय ४५४ मांडण [कवि] २३२ मंडलिक १८९, २६९ मांडणसेठ [कवि] २१६ मतिशेखर [उपकेशगच्छीय] ४४९ मांधाता [नपति] १२१ मतिसागर [आगमगच्छीय] ३३४, मांडणसेठ २६१ ४४८ माइल्ल धवल ११८ मदनमोहनमालवीय २० माघ ५२ मनरूप [कवि] ९७ माणिक्यचन्द्रसूरि ११८, ५९४ मम्मट १००, ११८ माणिक्यचन्द्रसूरि [अंचलगच्छीय] मलयचन्द[पूर्णिमागच्छीय] ४५१ २६१ महमूदगजनवी ६२, ११४ माणिक्यचन्द्रसूरि [पूर्णिमामहानन्दि [मुनि] २६३ __ गच्छीय] ३७४ महावीर १०९ माणिकप्रभसूरि १८५ महिंदसूरि १२६ माणिक्यराज ४५४ महिंदु [महाचन्द खरतरगच्छीय] माणिक्यसुन्दरगणि[बृहद्गच्छीय] ४५३ महिमराज ४१९ माणिक्यसुन्दरसूरि २३४, ५९३, महिमासागर [खरतरगच्छीय] ९४, ५९६ माणिक्यसुन्दरसूरि[अंचलगच्छीय) महिमासागरउपाध्याय [अंचल २६१, २६३ गच्छीय] ६०३ माणिक्यसुन्दरसूरि वृद्धतपागच्छीय महीचन्द्र ४५३ रत्नसिंह के शिष्य] ६०४ महीरतन [वडगच्छीय] ४९७ माणिक्यसूरि २६२, ५९४ महीरत्न ६०३ माघ ३९ महेन्द्रप्रभसूरि ५९१, ५९६ मायाविजय ९२ महेन्द्रप्रभसूरि[अंचलगच्छीय] २६४ मार्कण्डेय २७ महेन्द्रसरि १२५, १२६, १८१ मालदेव [कवि] १०० महेन्द्रसूरि [अंचलगच्छीय] १२६ मालदेव [श्रावककवि] २६३ ३२८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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