Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 678
________________ लेखक नाम-सूची ६६१ रत्नकीति [खरतरगच्छीय] ४२७ रत्नाकरसूरि २७२, ४६६ रत्नपाल १७७ रयणशाह [श्रावक कवि] १३३ रत्नप्रभ ८८ रयघू ५० रत्नप्रभसूरि ११७, ११८, १३३ रल्ह १९० रत्नप्रभसूरि [उपकेशगच्छीय] रवीन्द्रनाथ ठाकुर २० राजकीर्ति १९३ रत्न [श्रावक] १४१ राजतिलक [कवि २७३ रत्नमंडनगणि १९० राजतिलक [मुनि] १९२, १९३ रत्नमंडनगणि [तपागच्छीय] राजतिलकगणि [पूर्णिमागच्छीय] २६९,४६२ ४६७ रत्नमति वाचनाचार्य [खरतर- राजरत्नसूरि[खरतरगच्छीय] गच्छीय] ४५८ ४६७ रत्नरंगउपाध्याय ४२८ राजरत्न [वडगच्छीय] ४९७ रत्नवल्लभ २७१ राजलक्ष्मी [तपागच्छीय साध्वी] रत्नशेखर ४६५ २७४ रत्लशेखरसूरि २७३, २९८,३१९ राजवल्लभ १९३ रत्नशेखर [तपागच्छीय] ३२५, राजशील [कवि] ५६९ ३२७, ४७६, ५२९, ५३२। राजशील [खरतरगच्छीय] ४६८ ५३९, ६०१ राजशील [खरतरगच्छीय साधुहर्ष रत्नसमुद्र [वडतपागच्छीय ] के शिष्य] ६०६ ५१० राजशेखर २४, २६ रत्नसिंह [रत्नाकरगच्छ के राजशेखरसूरि ९४ संस्थापक] ३२९ राजशेखरसूरि [मलधारगच्छीय] रत्नसिंह [रत्नाकरगच्छीय] ४५८ २०३, २२३, २७५ रत्नसिंहसूरि १३३, ४६३, ४६५ राजशेखरसूरि [मलधारी] १५६ रत्नसिंहसूरि [तपगच्छीय] १६५, राजसुन्दर ४१७ १६६-६७, ४९५ राजहंस ६०६ रत्नसिंहसूरि [बृहद्तपागच्छीय] राजहेमगणि ४२९ ४५५ राजाराम जैन, डा० ५१ रत्नसिंहसूरि शिष्य ४६३ राजेन्द्रचन्द्रसूरि ५९२ रत्नसुन्दर ४६४ राणासांगा ३२१ रत्नसुन्दर [बडतपगच्छीय] ४६४ रामकलशसूरि[जीराउलागच्छीय] रत्नाकरमुनि २७१ ४०० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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