Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 668
________________ लेखक नाय -सूचि गुणाकरसूरि १६७ गुणाढ्य २४ गुरुनानक ३२१ गेसूदराज वंदानवाज ( सूफी संतकवि ) ५७९ गोरखनाथ ( नाथपंथी साधु) ५७८ गोविन्दचन्द्र (गहड़बाल नृपति) ५७६ गौरवदास (कवि ) ३६० घणचन्द ३६३ घनआनन्द १०४ घेल्ह (कवि ) १६८ चउथ (संडेरगच्छीय) ३६५ चतरुमल (कवि ) ३६३ चतुर्भुज ३६६ चण्ड २७ चन्दवरदायी ६३ चन्द्रकीर्ति ३६८ चन्द्र तिलक १५६ चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' २, ५, १३, १४ चन्द्रप्रभ (नागेन्द्रगच्छीय) १५६ चन्द्रप्रभसूरि ३६७ चन्द्रप्रभसूरि (नागेन्द्र गच्छीय) १८७, २६४ चन्द्रप्रभसूरि (पूर्णिमागच्छ के संस्थापक) ४९८ चन्द्रलाभ ५६९ चन्द्रलाभ (अंचलगच्छीय) ३६८ चरणप्रमोद (तपागच्छीय) ३२८ चरपटनाथ ( नाथपंथी साधु) ५७८ चांप - चंप (कवि) २३१ चारित्रगणि १६८ Jain Education International चारित्ररत्न २९८, ४६५ चारित्रहंस ५२७ चारुचन्द्र ( खरतरगच्छीय) ३६८ चिमनलालदलाल १७ चौरङ्गीनाथ ( नाथपंथी साधु ) ५७८ छल्हू (कवि) १६९ छीहल (श्रावक, कवि ) ३६९ जगचन्द्रसूरि १५४ जगडू (कवि) ९५ जगडू (श्रावक ) १२२, १२३ जगडूशाह १५३ जटमल (कवि) ९६ जम्बूस्वामी १२३ जयकीर्ति १५६, २९७ जयकीर्ति (भट्टारक) ३७२ जयकीर्तिसूरि (अंचलगच्छीय) ५४२ जय केशरमुनि २३२ जय केशरसूरि (अंचलगच्छीय) ४२९, ६०३ ६५१ जयचन्द ६२ जयचन्द्रसूरि २५२, २९८ जयचन्दसूरि (तपागच्छीय) ५३२, ६०१ जयतिलकसूरि (तपागच्छीय) २३२, २३३ जयतिलकसूरि (बृहद् गच्छीय) ५९३ जयतिलकसूरि ( रत्नाकरगच्छीय) ४५८ जयदेव (तपागच्छीय) ४७५ जयदेवगण ८८, १२५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690