Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 667
________________ ३५४ मरुगुर्जर जैन साहित्य क्षमा कलश (आगमगच्छीय) गुणनिधानसूरि (अंचलगच्छीय) ५२२ क्षमाचन्द्रसूरि (सोरठगच्छीय) गुणभद्रसुरि (बृहद्गच्छीय) २२३ ५४३ गुणमाणिक्य (ब्रह्माणगच्छीय) क्षांतिरंगगणि ३५५ ३६०, ४४१ क्षांतिरत्न ६०१ गुणमाणिक्यशिष्य ३६० क्षेमचन्द्र (दिगम्बर मुनि) ५०५ ।। गुणमेरु (आगमगच्छीय) ४४८ क्षेमराज खरतरगच्छीय) ३५० गुणमेरुसूरि (पौर्णमिकगच्छीय) खीमा कवि ३५३, ५७० ४०६ खेंगार ६४ गुणरत्न (तपागच्छीय) २२४, खेता (कवि) ९६ खेमचन्द्र १०० गुणरत्नसूरि २३०, खेमराज (खरतरगच्छीय) ३५० गुणरत्नसूरि (आगमगच्छीय) गजराज (कवि) ३५६ ४०० गजराज (पं०) ३५६ गुणरत्नसूरि (खरतरगच्छीय) गजलाभ (अंचलगच्छीय) ३५६ ४१८ गजलाभ (कवि) ५६९ गुणरत्नसूरि (नागेन्द्रगच्छीय) गजसागर (अंचलगच्छीय) ४२४ . ५२६ गजेन्द्रप्रमोद (तपागच्छीय) ३५८ गुणरत्नसूरि (नाइलगच्छीय) गणपति ३५० २३० गणपति (ग्रन्थकार) ९५ . . गुणरत्नसूरि (पिप्पलकगच्छीय) गयसुकुमाल (मुनि) १२५ ... .. गुणकीर्ति ३५९ गुणवर्धन (कोरंटगच्छीय) ६०२ गुणचन्द्रसूरि २२९ गुणसमुद्रसूरि २३० गुणदेव (नाइलगच्छीय) ५४७ ।। गुणसमुद्रसूरि (नाइलगच्छीय) गुणदेवसूरि २३० ५४७ गुणदेवसूरि (नागेन्द्रगच्छीय) गुणसमुद्रसूरि (नागिलगच्छीय) ५२६ ३०८ गुणधीरगणि ६०० . .. गुणसमृद्धि महत्तरा २२३ गुणधीरसूरि (पौर्णमिकगच्छीय) गुणसागरसूरि (पिप्पलकगच्छीय) ४१६ गुणनिधान (अंचलगच्छीय) ५६५ गुणसुन्दरसूरि (मलधारगच्छीय) गुणनिधान (आगमगच्छीय) ४४८ ५१४ ४०५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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