Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 662
________________ २५२ १६ नेयचन्द्र २५७ २५७ २६० २६५ २६७ २७४ २७५ २७७ ९ एक २६ भिद्दा २६ मणहरुमा २७ वे १९ वगोयरी २२ माहेर सावलि १६ सील १९ जिणोसर १४ तसउ ४ रमण २८९ २९ कणसण २९ मूमीय १७ भसीय २८३ २८४ २८९ २९३ २९४ १६ थाऊ २९६ १६ तट्टण ३०३ २४ बीरबाह ३०३ २४ सूरि ३०४ २६ पंचासावइ ३०९ ३१० ३१६ ३३८ ३४६ ३६८ ३६९ शुद्धि पत्र ३७७ ३७८ Jain Education International ४ सोव्रत २ भणि १ को ६ अपने ३ मणइ २७ अनेकों २६ का १४ तरह ५ तवगछ ८ धनधत्व ४०५ ४०९ १३ विवेकसंघ ४१२ १४ में नयचन्द्र एह मिच्छा मणहरुआ ते वगोयरो मोह रसावलि सोल जिणेसर रासउ रयण अणसण मूकीय भणीय घाऊ पट्टण वीरनाह पूरि पंचाणावर सोन मणि के का भणइ अनेक की Delete तपगछ धनधन्न विवेकसिंह Delete For Private & Personal Use Only ६४५ www.jainelibrary.org

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