Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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अनुक्रमणिका विमलप्रबन्ध ४७८, ४८१ व्याकरणचतुष्कबालावबोध ५९६ विमलाचलऋषिजिनस्तवन २८२ व्युत्पत्तिरत्नाकर ५६५ विरहदेमाउरीफाग ५५१ व्रतकथाकोष २८७ विराटपर्व २८६
शंखवापीपुरमण्डनश्रीमहावीर विलासवइकहा ९२
स्तोत्र १२० विल्हणचरितचौगाइ ३९२
शंखेश्वरस्तव ५०९ विल्हणपंचाशिका ५४९
शकुनचौपइ ३०८ विविधतीर्थकल्प १७६
शकुन्तलारास ४०८, ४०९ विवेकमञ्जरी ११८
शक्रस्तव १०२ विवेकशतक ४२३
शतपदिका १२६ विशालकीर्तिगीत ३८९
शतार्थकाव्य १४७ विशिंका ११३
शत्रुञ्जयआदीश्वरस्तव ४९८ विहारथियेटरपत्रिका १३४
शत्रुञ्जयचतुर्विंशतिस्तवन १७२, वीतराग विज्ञप्ति ( मरुगुर्जर की १७५ रचना) २८२
शत्रुञ्जयचैत्यपरिपाटी २५४, वीतरागस्तवन ४२३ वीतरागस्तोत्र ५१४
३२५, ३५३, ५७० वीरकल्प १५६
शत्रुञ्जयभास ५०४
शत्रुञ्जयमण्डनआदिनाथस्तवन वीरजिणेसरपारणउ (काव्य)
५०८ ११७ वीरलधुस्तवन ४२३
शत्रुञ्जयवीनती २३५ वीरविलासफागु ५०१
शत्रुञ्जयस्तवबालावबोध ६०५ वीरस्तवन ३५१, ४२३
शत्रुञ्जयस्तवन ३४८ वीरांकहम्मीरमहाकाव्य २५२
शत्रुञ्जयस्तोत्र ४२३ वीसलदेवरासो ६०, ८९
शशिकलापंचाशिका ५४९, ५५० वीसविरहमानरास २७८ शान्तरास २६४ वीसविहरमानजिनस्तुति ४२३ ।।
शान्तिजिनचरित २०० वृत्तरत्नाकरबालावबोध ६०५ शान्तिजिनविवाहप्रबन्ध ३२८ वेणिवत्सराजरासविवाहल ३९३ शांतिजिनस्तवन १७२, २८२, वेतालपंचवीसी ५४३
४२३, ५०८ वैराग्यकुल ३४५
शांतिजिनस्तोत्र १७२ वैराग्यवीनती ४७८, ४८० शांतिनाथकलश १९३ वैराग्यसार ५६, १४६
शांतिनाथचरित २२३
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