Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 640
________________ अनुक्रमणिका ६२३ कालिकाचार्यकथा २२४, ३४३ कूर्मशतक ६४ कालिकाचार्यसन्तानीय २२४ कूर्मापुत्रचरित्र ३२५ काव्यप्रकाश ११८ कृतकर्मचरितरास ४४३ काव्यप्रकाशसंकेत ११८ कृतकर्मराजाधिकाररास ३४२ काव्यमीमांसा २४ कृपणछन्द ३९० काव्यानुशासन ५७, ९० कृपणनारीसंवाद ९६ किसनरूक्मिणीरीबेलि १५ केशिप्रदेशिबन्ध ४२३ कीर्तिकौमुदी ११७, २९८ केसीसंधि २११ कीतिरत्नसूरिगीत ३६८, ५१५ ।। कोचरव्यवहारीरास ३९४ कीर्ति रत्नसूरिगीतम २९४,४७१ कौतुककथा २२३ कीतिरत्नसृरिचउपइ ३४२ क्रमदीश्वर ८९ कीर्तिलता १५, ६०, १५६, ५७७ क्षुल्लककुमाररास ५२८ कुमारगिरिमंडणश्रीशांतिनाथ- क्षेत्रपालगीत ५०५ स्तवन ५२८ क्षेत्रसमासबालावबोध ६०० कुमारपाल ६४ क्षेत्रपाल द्विपदिका १६९ कुमारपालचरित ३१, ५७ खंधकचरित्रसज्झाय ४२३ कुमारपालचरित (संस्कृत खरतरगच्छपट्टावली ५२५ भाषामय) २४० खरतरगुरुगुणवर्णनछप्पय ३१० कुमारपालनिबन्ध २९७ | खिर्षिरास ४७८, ४८१ कुमारपालप्रतिबोध १४, ५८, खुमाणरास ४०१ ९४, ११९, १२६, १४७ खेमाहडालियानो रास ३२० कुमारपालरास २४८, ३५३, गजसिंहकुमारचौपाइ ४१७, ५२० गजसिंहकुमाररास ४०० कुमारिका अभिषेक १५६ गजसिंहरायचरित्ररास ४१७ कुरगडुमहर्षिगीत ४५० गजसिंहरास ४१७ - कुरुदेशतीर्थमालास्तोत्र ३०१ गजसुकुमारचोढालिया ४१२ कुलध्वजकुमाररास ३३९, ३४६, गजसुकुमारराजषिसज्झाय ४११ ४०८-९ गजसुकुमालरास ५०७, ५०८ कुलध्वजचौपाइ ५३३ गजसुकुमालसंधि ४५५, ५३३-३४ कुवलयमाला १५७ गणधरवलयपूजा २८८ कुवलयमालाकथा १०, २०, २३, गणधरसप्ततिका ११३ ८९, ५८० गणधरसार्धशतकबृहवृत्ति १४५ कुवलयमालाकहा ५८, ९२ गणितसार १८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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