Book Title: Girnar Granthoni Godma
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirth Vikas Samiti Junagadh

View full book text
Previous | Next

Page 42
________________ जिम जिम वायइ वाउ तहि निज्झरसीयलु। तिम तिम भवदुहदाहो तक्खणि तुट्टइ। निच्चलु कोइलकलयलो मोरकेकारवो। सुंमए महुयरमहुरुगुंजारवो। पाज चडतह सावयालोयणी। लाषारामु दिसि दीसए दाहिणी ।। ३ ।। जलदजालवबाले नीझरणि रमाउलु। रेहए उज्जिलसिहरु अलिकज्जलसामलु । वहलवुहुधातुरसभेउणी। जत्थ उलदलइ सोवन्नमइ मेउणी। जत्थ दिप्पंति दिवो सही सुंदरा। गुहिर वर गरुय गंभीर गिरिकंदरा || ४ ॥ जाइ कुंदु विहसंतो जं कुसुमिहि संकुलु। दीसइ दस दिसि दिवसो किरि तारामंडलु । मिलियनवलवलिदलकुसुमझलहालिया। ललियसुरमहिवलयचलणतलतालिया। गलियथलकमलमयरंदजलकोमला। विउल सिलवट्ट सोहंति तहिं संमला || ५ ॥ मणहरघणवणगहणे रसिरहसिय किंनरा। गेउ मुहुरु गायंतो सिरिनेमिजिणेसरा। जत्थ सिरिनेमिजिणु अच्छप अच्छरा। असुरसुरउरगकिंनरयविज्जाहरा। मउडमणिकिरणपिंजरियगिरिसेहरा। हरसि आवंति बहुभतिभरनिब्भरा ।। ६ ।। सामियनेमिकुमारपयपंकयलंबिउ। धरधूल वि जिण धन्न मन पूरइ वंछिउ । जो भव कोडाकोड्डि......................। अन्नु सोवन्नु घणु दाणु जउ दिज्जए। सेवउ जडकम्मघणगंठि जउ तिज्जए। रनार: अंथोनी गोमा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118