Book Title: Girnar Granthoni Godma
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirth Vikas Samiti Junagadh

View full book text
Previous | Next

Page 41
________________ तहि नयरह उत्तरदिसिहि सालथंभसंभार । मंडण महिमंडल सयलमंडप दसह उसार || १३ ॥ जोइउ जोइउ भवियण पेमिं गिरिहि दुयारि: । दामोदरु हरि पंचमउ सुवन्नरेहनइपारि ।। १४ ।। अगुण अंजण अंबिलीय अंबाडय अंकुल्लुः । उंबरु अंबरु आमलीय, अगरु असोय अहल्लु || १५ ॥ करवर करपट करुणतर करवंदी करवीर। कुडा कडाह कयंब कड करब कदलि कंपीर ।। १६ ।। वेयलु वंजलु बउल वडो, वेडस वरण विडंग। वासंति वीरिणि विरह वंसियालि वण वंग || १७ ॥ सींसमि सिंबलि सिरसमि सिंधुवारि सिरखंड। सरल सार साहार सय सागु सिगु सिणदंड ।। १८ ।। पल्लवफुल्लफलुल्लसिय, रेहइ ताहि वणराइ। तहि उज्जिलतलि धम्मियह उल्लटु अंगि न माइ ।। १९ ।। बोलावी संघहतणीय कालमेघंतरपंथि। मेल्हविय तहिं दिढ द्यणीय वस्तुपाल वरमंति ॥ २० ॥ (प्रथमं कडवम्) दुविहि गुज्जरदेसे रिउरायविहंडणु। कुमरपालु भुपालु जिणसासणभंडणु ; तेण संठाविओ सुरठदंडाहिवो। अंबओ सिरे सिरिमालकुलसंभवो। पाज सुविशाल तिणि नठिय। अंतरे धवल पुणु परव भराविय. || १ || धनु सु धवलह भाउ जिणि पाग पयासिय। बारविसोत्तरवरसे जसु जसि दिसि वासिय। जिम जिम चडई तडि कडणि गिरनारह। तिम तिम ऊडइं जण भवणसंसारह । जिम जिम सेउजलु अग्गि पालाट ए। तिम तिम कलिमलु सयलु ओहट्ट ए || २ || 'ગરનાર ગ્રંથોની ગોદમાં Jain Education International For Personal & Private Use Only : www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118