Book Title: Girnar Granthoni Godma
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirth Vikas Samiti Junagadh
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સંવત-૧૨૨૩ માં શ્રી વિજય મેળસૂરિવિચિત
શ્રી રૈવતગિરિરાસુ.
परमेसरतित्थेसरह, पयपंकय पणमेवि ।
भणिसु रासु रेवंतगिरे अंबिकदिवि सुमरेवि ॥ १ ॥ गामागरपुरवणगहणसरिसरवरि सुपएसु।
देवभूमि दिसि पच्छिमह मणहरु सोरठदेसु ।। २ ।। जिणु तहिं मंडलमंडणउ मरगयमउडमहंतु।
निम्मलसामलसिहरभरे रेहइ गिरि रेवंतु || ३ || तसु सिरि सामिउ सामलउ सोहगसुंदरसारु।
जाइवनिम्मलकुलतिलउ निवसइ नेमिकुमारू ।। ४ ।। तसु मुहदंसणु दसदिसि वि देसदेसंतरु संघ।
आवइ भावरसालमणउ हलि रंगतरंग ।। ५ ।। पोरुयाडकुलमंडणउ नंदणु आसाराय ।
वस्तुपाल वरमंति तहिं तेजपालु दुइ भाय ॥ ६ ॥ गुरजरधरधुरि धवलकि वीरधवलदेवराजि।
बिहु बंधवि अवयारियउ सूमू दूसममाझि ।। ७ ।। नायलगच्छह मंडणउ विजयसेणसुरिराउ ।
उवएसिहि बिहु नरपवरे धम्मि धरिउ दिंदु भाउ ।। ८ ।। तेजपालि गिरनारतले तेजलपुरु नियनामि।
कारिउ गढमढपवपवरु मणहरु धरि आरामि ॥ ९ ॥ तहि पुरि सोहिउ पासजिणु आसारायविहारु।
निम्मिउ नामिहि निजजणणि कुमरसरोवर फारु ॥ १० ॥ तहि नयरह पूरवदिसिहि उग्रसेणगढदुग्गु।
आदिजिणेसरपमुहजिणमंदिरि भरिउ समग्गु ।। ११ ॥ बाहिरिगढ दाहिणदिसिहि चउरियवेहिविसालु। लाडुकलहहियओरडीय, तडि पसुठाइकरालु || १२ ॥
रनार: अंथोनी गोटमा
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