Book Title: Dighnikayo Part 4
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

View full book text
Previous | Next

Page 168
________________ (२.१९० - १९० ) पणीततरसामञ्ञफलवण्णना जनपदा ओरतो मज्झे, पुरत्थिमदक्खिणाय दिसाय सलळवती नाम नदी । ततो परा पच्चन्तिमा जनपदा, ओरतो मज्झे, दक्खिणाय दिसाय सेतकण्णिकं नाम निगमो, ततो परा पच्चन्तिमा जनपदा, ओरतो मज्झे, पच्छिमाय दिसाय थूणं नाम ब्राह्मणगामो, ततो परा पच्चन्तिमा जनपदा, ओरतो मज्झे, उत्तराय दिसाय उसिरद्धजो नाम पब्बतो, ततो परा पच्चन्तिमा जनपदा ओरतो मज्झे 'ति एवं परिच्छिन्ने आयामतो तियोजनसते, वित्थारतो अड्ढतेय्ययोजनसते, परिक्खेपतो नवयोजनसते मज्झिमपदेसे उप्पज्जति । न केवलञ्च तथागतो, पच्चेकबुद्धा, अग्गसावका, असीतिमहाथेरा, बुद्धमाता, बुद्धपिता, चक्कवत्ती राजा अञे च सारप्पत्ता ब्राह्मणगहपतिका एत्थेवुप्पज्जन्ति । तत्थ तथागतो सुजाताय दिन्नमधुपायासभोजनतो याव अरहत्तमग्गो, ताव उप्पज्जति नाम, अरहत्तफले उप्पन्नो नाम । महाभिनिक्खमनतो वा याव अरहत्तमग्गो । सितभवनो वा याव अरहत्तमग्गो । दीपङ्करपादमूलतो वा याव अरहत्तमग्गो, ताव उप्पज्जति नाम, अरहत्तफले उप्पन्नो नाम । इध सब्बपठमं उप्पन्नभावं सन्धाय उप्पज्जतीति वृत्तं । तथागतो लोके उप्पन्नो होतीति अयञ्हेत्थ अत्थो । १४३ वचनेन सो इमं लोकन्ति सो भगवा इमं लोकं । इदानि वत्तब्बं निदस्सेति । सदेवकन्ति सह देवेहि सदेवकं । एवं सह मारेन समारकं, सह ब्रह्मना सब्रह्मकं, सह समणब्राह्मणेहि सस्समणब्राह्मणि । पजातत्ता पजा, तं पजं । सह देवमनुस्सेहि सदेवमनुस्सं । तत्थ सदेवकवचनेन पञ्च कामावचरदेवग्गहणं वेदितब्बं । समारक - छट्ठकामावचरदेवग्गहणं । सब्रह्मकवचनेन ब्रह्मकायिकादिब्रह्मग्गहणं । सस्समणब्राह्मणीवचनेन सासनस्स पच्चत्थिकपच्चामित्तसमणब्राह्मणग्गहणं, समितपापबाहितपापसमणब्राह्मणग्गहणञ्च । पजावचनेन सत्तलोकग्गहणं । सदेवमनुस्सवचनेन सम्मुतिदेवअवसेसमनुस्सग्गहणं । एवमेत्थ तीहि पदेहि ओकासलोकेन सद्धिं सत्तलोको । द्वीहि पजावसेन सत्तलोकोव हितोति वेदितब्बो | Jain Education International अपरो नयो, सदेवकग्गहणेन अरूपावचरदेवलोको गहितो । समारकग्गहणेन छ कामावचरदेवलोको । सब्रह्मकग्गहणेन रूपी ब्रह्मलोको | सस्समणब्राह्मणादिग्गहणेन चतुपरिसवसेन सम्मुतिदेवेहि वा सह मनुस्सलोको, अवसेससब्बसत्तलोको वा । अपि चेत्थ सदेवकवचनेन उक्कट्ठपरिच्छेदतो सब्बस्स लोकस्स सच्छिकतभावमाह । 143 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410