Book Title: Dighnikayo Part 4
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 383
________________ [५२] 1 समथविपस्सना - १९६,२८३ समथविपस्सनानं - ६१ समनुभासेय्यन्ति - १०० समनुयुञ्जेय्यन्ति - १०० समन्तचक्खुति - १५० समन्तपासादिकाय - ११३, २६९ समन्नागतोति - ९२, १४९, १६५, २२७, २३७ समपस्सद्धकायचित्तो - २३३ समयप्पवादको - २७१ समवाये - ३२, १५९, १६० समसमोति - २३४ समादानविरति - २४५ समादानविरतीति - २४६ समाधानलक्खणो - २५२ समाधिक्खन्धोति - २८९ समाधिक्खन्धं - २८९ समाधिन्द्रियस्स - ६० समाधिबलस्स - ६० समाधिभावना - २५१ समाधिभावनानन्ति - २५१ समाधिसम्बोज्झङ्गस्स - ६० समुदयधम्मं - २२४ समुदय सञ्जातीति - २९७ समुद्दवखायिका - ८१ समोधानलक्खणं - ६१ समोसरणलक्खणं - ६१ सम्पञ्ञविरहितो- १५१ सम्पजञ्ञस्स- १६५, १६६ सम्पजञानं १६५ सम्पञ्ञेन - १४९, १५१ सम्पज - १५१, १६५ सम्पजानकारिता - १६४, १६५ सम्पजानकारी - १५१, १५७, १६४, १६५ सम्पजानकारीति - १६५ सम्पजानसञ्ञानिरोधसमापत्तीति - २७८ - ४५, ४६, १५७, १५८, १६५ सम्पजानो सम्पजानोति - १७२ सम्पटिच्छनकिच्चं - १५८ सम्पतिजातो - ५७ सम्पत्तविरतीति - २४६ सम्पन्नसीलानं - ५३ समापत्तियो - २१७ समारकं - १४३ समारम्भो - २४४ समिञ्जनपसारणे - १६० समिञ्जनपसारणं - १६०, १६१ सम्पयुत्तधम्मा - १५९ सम्परायिको - ३२ सम्पादनसुत्ते - २८३ सम्पहारपिसाचादिदस्सनेसु - १२५ सम्पहंसने – २७,१४१ सम्पहंसेसीति - २४१ सम्पादेथाति - १६ समिञ्जिते - १६०, १६४ समितपापताय - ६५, ११९ सम्पियायमानो - १७५ सम्फप्पलापो - ६९, ७० सम्बाहनन्ति - ७९ समितपापा- २४० समीपचारीति - २८८ समुच्छेदनलक्खणं - ६१ समुच्छेदपटिपस्सद्धिनिस्सरणविमुत्तियो - २६७ समुट्ठानलक्खणं - ६० समुट्ठापनलक्खणो - २५२ समुत्तेजेसीति - २४१ समुदयट्ठिति - ८८ दीघनिकाये सीलक्खन्धवग्गट्ठकथा Jain Education International सम्बुका - १८३ सम्बुद्धी - २८५ सम्बोधिपरायणो - २५२ सम्भवजातके- १३० सम्मप्पञ्ञाय - १८८ सम्मप्पधानसतिपट्ठानवसेन - २५३ 122 52 For Private & Personal Use Only [ स स ] www.jainelibrary.org

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