Book Title: Dighnikayo Part 4
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri
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समथविपस्सना - १९६,२८३ समथविपस्सनानं - ६१ समनुभासेय्यन्ति - १०० समनुयुञ्जेय्यन्ति - १०० समन्तचक्खुति - १५० समन्तपासादिकाय - ११३, २६९ समन्नागतोति - ९२, १४९, १६५, २२७, २३७ समपस्सद्धकायचित्तो - २३३ समयप्पवादको - २७१ समवाये - ३२, १५९, १६० समसमोति - २३४ समादानविरति - २४५ समादानविरतीति - २४६ समाधानलक्खणो - २५२ समाधिक्खन्धोति - २८९ समाधिक्खन्धं - २८९ समाधिन्द्रियस्स - ६० समाधिबलस्स - ६० समाधिभावना - २५१ समाधिभावनानन्ति - २५१ समाधिसम्बोज्झङ्गस्स - ६०
समुदयधम्मं - २२४ समुदय सञ्जातीति - २९७ समुद्दवखायिका - ८१ समोधानलक्खणं - ६१ समोसरणलक्खणं - ६१ सम्पञ्ञविरहितो- १५१ सम्पजञ्ञस्स- १६५, १६६ सम्पजञानं १६५ सम्पञ्ञेन - १४९, १५१ सम्पज - १५१, १६५ सम्पजानकारिता - १६४, १६५ सम्पजानकारी - १५१, १५७, १६४, १६५ सम्पजानकारीति - १६५ सम्पजानसञ्ञानिरोधसमापत्तीति - २७८ - ४५, ४६, १५७, १५८, १६५
सम्पजानो सम्पजानोति - १७२ सम्पटिच्छनकिच्चं - १५८
सम्पतिजातो - ५७ सम्पत्तविरतीति - २४६
सम्पन्नसीलानं - ५३
समापत्तियो - २१७ समारकं - १४३ समारम्भो - २४४ समिञ्जनपसारणे - १६० समिञ्जनपसारणं - १६०, १६१
सम्पयुत्तधम्मा - १५९ सम्परायिको - ३२ सम्पादनसुत्ते - २८३ सम्पहारपिसाचादिदस्सनेसु - १२५ सम्पहंसने – २७,१४१ सम्पहंसेसीति - २४१ सम्पादेथाति - १६
समिञ्जिते - १६०, १६४ समितपापताय - ६५, ११९
सम्पियायमानो - १७५ सम्फप्पलापो - ६९, ७० सम्बाहनन्ति - ७९
समितपापा- २४० समीपचारीति - २८८ समुच्छेदनलक्खणं - ६१
समुच्छेदपटिपस्सद्धिनिस्सरणविमुत्तियो - २६७
समुट्ठानलक्खणं - ६० समुट्ठापनलक्खणो - २५२ समुत्तेजेसीति - २४१ समुदयट्ठिति - ८८
दीघनिकाये सीलक्खन्धवग्गट्ठकथा
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सम्बुका - १८३ सम्बुद्धी - २८५ सम्बोधिपरायणो - २५२
सम्भवजातके- १३०
सम्मप्पञ्ञाय - १८८
सम्मप्पधानसतिपट्ठानवसेन - २५३
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