Book Title: Dighnikayo Part 4
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 337
________________ [६] अब्भाचिक्खति - २२ अब्भुग्गतोति - १२२ अब्भुज्जलनन्ति - ८५ अब्भुतधम्मन्ति - २४ अब्भुतधम्मं - २४ अब्भोकासट्टाने - १८१ अब्भोकासो - १४८ अब्यासेकसुखन्ति - १५० अब्रह्मचरियन्ति - ६७ अभयं - २४६ अभारिको - २०४ अभिक्कन्ततराति - २९३ अभिक्कन्तसद्दो- १८४ अभिक्कमनचित्ते - १५१ अभिज्झादोमनस्सा - १५७, १५८ अभिज्ञा - २२, ८७, १०५, १४४, २५२, २७०, २८३ अभिञ्ञाञाणन्ति -- २९३ अभिज्ञातकोञोति - २०३ अभिञाता - १८, ३०० अभिञाधिगमो - १७८ अभिधम्मकथं - २८१ अभिधम्मपिटकन्ति - १६, १९ अभिधम्मपिटकं - १५, १७, १९, २४, २५, ८८ अभिधम्मोति - १५ अभिनन्दित्वा - ११०, १४१ अभिनिक्खमनसमयो - ३३ अभिनिरोपनलक्खणो - २५२ अभिनिरोपनलक्खणं - ६० अभिनिवेसं - ५९ अभिनीहरतीति - १७८, १८२ अभिनीहारं - ४८ अभिभू - ६३ अभिमुखं - १३१ अभिवादनादिसामीचिकम्मं - ३६ दीघनिकाये सीलक्खन्धवग्गट्ठकथा अभिसङ्करणलक्खणं - ५९ अभिसङ्करोतीति- २७७ Jain Education International अभिसञ्ञानिरोधं - २७७ अभिसद्दो- १८ अभिसमयो - २० अभिसम्बुद्ध - ४२, ६१, ६२, ६३ अभिसम्बुद्धोति - ५६, ६१ अभिसम्बुद्धं - ६३ अभिसित्तराजानो - २०७ अभूतं अभूततो-५० अमच्चा - ११५, ११६, १२०, २२० अमतमहानिब्बानं – ४६ अमतं - १७६, २३०, २८२ अमधुरं - २४० अमनुस्सग्गाहो - १०४ अमराविक्खेपिका- ८९, ९८ अमुञ्चितुकामताय - १०० अमोघता - ५२ 6 कुलमूलजनितकम्मानुभावेनाति - २०२ २१३, २१४, २१५, २१६, २२० अम्बठ्ठकुलं - २०३ अम्बट्टो - ३६, २०३, २०४, २०५, २०६, २०८, २१२, अम्बपिण्डी - १०९ अम्बलट्ठिका - ४१, २३७ अम्बवने - ११३, ११४, १२६, २९०, ३०० अम्बाटकादीनं - २१९ अम्बिलयागुआदीनि - २१८ अयकारदन्तकारचित्तकारादीनि - १३१ अयपट्टेन- २८७ अयानभूमिं - २०३ अयोगुळकीळा - ७७ अयोनिसोमनसिकारोपि - ९३ अरञ्ञवासो- १६९, १७० [ अ-अ अरञ्ञसञ्ञा- १९५ अरणी - २१७ अरतिं - ५९ अरहतन्ति - २००, २७० अरहत्तजयग्गाहं - २८४ For Private & Personal Use Only ] www.jainelibrary.org

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