Book Title: Dighnikayo Part 4
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri
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[ अ-अ ]
अन्तरवीथि - ४४ अन्तरापत्ति - २५ अन्तरायकरो - २९७
अन्तरायकरोति - २९७ अन्तरायिकधम्मे - ४३
अन्तरा - सद्दो - ३५
अन्तलिक्खचरा - ९५
अन्तसञी - ९८ अन्तानन्तिकवादे - १०१ अन्तानन्तिका - ८९ अन्तेपुरपालका – १२४
-
अन्तेवासिको - १८७
अन्तेवासी - ३६, ३७, ३९, ४९ अन्तोजालीकतभावदस्सनं - १०८
अन्तोजालीकता - १०८ अन्तोनिज्झायनलक्खणो - १०३
अन्धपवेणी - ३०२ अन्धपुथुज्जनो - ५६
अन्धबाला - २३३ अन्धवेणीति - ३०२
अन्धा - २८२,३०२
अन्धाति - २८२
अपगब्भो - ३६ अपचितिकम्मं - २०७
अपण्णत्तिकभावं - १०९, २९४
अपतनधम्मो - २५२
अपदानं १५ अपनीतकाळकं - २२१ अपनीतपासाणसक्खरो - १७९
अपरन्तकप्पिका- १०१
अपरप्पच्चयो - २२४ अपराधकारको १२८ अपराधं - १२७, १९१
अपरामासपच्चया - ९३ अपरिक्खीणंयेव - २०० अपरिपक्किन्द्रिया- १९६
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सद्दानुक्कमणिका
अपरिपूरकारीति - ३२ अपरिमितकालसञ्चितपुञ्ञबलनिब्बत्ताय - ४०
अपरियापन्नभावं - १०८
अपरिसुद्धोति - २१५ अपरिहीनज्झानो - १०१
अपलिबुद्धाय - २२७ अपापपुरेक्खारोति - २३१
अपायभूमिं - १८९ अपायमुखानीति - २१७ अपारुतघराति - २३९
अप्पटिवत्तियवरधम्मचक्कप्पवत्तनस्स - ५८ अप्पटिसन्धिकंव- १८२
अप्पट्टतरं - २४४
अप्पणिहितानुपस्सनाय - ५९ अप्पत्तभावं - २१९
अप्पदुक्खविहारी - २६०
अप्पनासमाधिना - १७६
अप्पपुञ्जो - २६०
अप्पमत्तकं - ५२, ५५, ६६, २६२
अप्पमत्तोति - २७०
अप्पमाणसञ्ञीति - १०२
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अप्पमाणाधम्मा १८ अप्पमादेन - १६, ४५ अप्पसद्दकामोति - २७३
अप्पसद्दं - १७०, २७३ अप्पसमारम्भतरं - २४४ अप्पसावज्जो - ६५, ६७, ६८, ७० अप्पहीनकामच्छन्दनीवरणं - १७३
अप्पहीनो - २५०
अप्पातङ्कोति - २८७
अप्पातङ्कं - २८, २०४
अप्पाबाधं - २८, २०४
अब्भन्तरे - ८९, १५८, १६१, १६२, १६३, १६४,
२३४, २३५ अब्भा - ११९ अब्भाकुटिकोति - २३१
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