Book Title: Dighnikayo Part 4
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 344
________________ [ऊ-ए] सद्दानुक्कमणिका [१३] उप्पण्डनकथं-२०५ उप्पत्तिआकारदस्सनत्थं -२२४ उप्पत्तिकारणं-२७४ उप्पत्तिद्वारदस्सनत्थं-१४९ उप्पन्नकिलेसं-१५४ उप्पन्नवितक्कं-१५४ उप्पलो-२२९ उप्पादनिरोधं-२७६,२८० उप्पादितभावं-३१ उब्मिन्नउदको-१७७ उभतो विभङ्गो-१३ उभतोउग्गतपुष्फन्ति-७८ उभतोपक्खिका-२३३ उभतोलोहितकं-७९ उभतोविभङ्गनिद्देसखन्धकपरिवारा-२४ उभतोविभङ्गावसानेपि-१३ उभयंसभावितानं-२५१ . उभयंसभावितोति-२५१ उम्मुज्जननिमुज्जनादिवसेन - ९८ उय्यानकप्परुक्खादयो-९५ उय्योधिकन्ति-७७ उरुञानगरं-२५९ उरुवेलगामे-५५ उलूकपक्खिकन्ति-२६५ उसिरद्धजो नाम पब्बतो-१४३ उसीरं-७५ उस्सङ्कितपरिसङ्कितोव-१७४ उस्सापितरजततोरणं-१९८ उस्सावबिन्दु-२२८ उस्साहजातो-१४२, २३९ उस्साहसत्तियोगो-२०२ एकक्खणे-५४ एकग्गचित्तो-१२२ एकग्गिजालभूतन्ति-२१३ एकचतुपञ्चक्खन्धप्पभेदा - १८२ एकचतुपञ्चवोकारभवेसु-१८२ एकच्चसस्सतवादा-८९, ९४ एकज्झासया-४३ एकतोउग्गतपुष्फन्ति-७८ एकत्तसञ्जी-१०२ एकन्तअसप्पायमेव-१६३ एकन्तपण्डितो-१३२ एकन्तपरिपुण्णं-१४८ एकन्तपरिसुद्धं-१४८ एकन्तफरुसचेतना-७० एकन्तसुखो-२८२ एकपस्सयिकोति -२६५ एकपुग्गलो-३८ एकभत्तिकोति-७१ एकमंसखलकरणनिदानं-१३३ एकरत्तिवासं-४१ एकरसलक्खणं-६१ एकविधं-१५,२५ एकसलाकतो-२४३ एकसालकोति-२७१ एकागारिकोति-२६४ एकादसपरिक्खारिकस्स - १६८ एकानुसन्धिकं-२५ एकारम्मणा-२५३ एकालोपिकोति-२६४ एकाहिकन्ति-२६४ एकिन्द्रियो-१३४ एकेकलोमकूपतो-५४ एकंसभावितो-२५१ ऊरुबद्धासनं-१७१ 13 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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