Book Title: Dighnikayo Part 4
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 349
________________ [१८] दीघनिकाये सीलक्खन्धवग्गट्ठकथा Jain Education International खेमन्तभूमिं - १७४, १७५, १७६ खोकारो - ३६ ग खन्धधातायतनिन्द्रियानि - २ खन्धधातुआयतनकम्मट्ठानिकेहि - १५८ खन्धबीजं - ७१,७५ खन्धा - ४९, ८७, ८८, ९३, २८४ खन्धानंसमवाये - १५९ खन्धायतनधातुपच्चयपच्चवेक्खणवसेन - १५९ खयञणनिब्बत्तनत्थाय - १८१ खयमज्झगाति - १६ खयवयतो- १५१, १७० खयानुपस्सनाय ५९ खलिकन्ति - ७८ खादितब्बफलाफलगहणकाले खारीति - २१७ खारोदकं - ३७ खिड्डापदोसिका - ९७ - १- १६८ F खिड्डाभूमि - १३५ खिड्डारतिधम्मञ्च - ९७ खिप्पाभिज्ञो - १५६ खीणकामरागोति- २३० खीणासवभिक्खूयेव - ५ खीणासवसामणेरो- २१७ खीणासवो ९-२२, १०८, १८२, २५८ खीरदधितण्डुलादिके - २३८ खीरन्तरायो - २६४ खीरमिस्सके - २४६ खीरविरेचनं - ८, २८६ खुद्दकगन्थो - १५ खुद्दकचुण्णियइरियापथा - १६४ खुद्दकनिकायो - २४, २५ खुद्दक पाठादयो - २४ खुद्दक पाठो - १५ खुरधारूपमं - २१७ खुरप्पं- २१५ खेत्तं - ७२, ७३ खेमट्ठिताति - २३९ खेमन्तभूमिनिदानं - १७३ गगनतलं - ४० गग्गराति - २२५ गङ्गाय - ४३, २१४ गणसज्झायमकंसु – १२, १४ गणाचरिया - २६२ गणाचरियो - १२०, २३२, २७१ गणी - १२०, २३२ गण्ठनकिलेसो- १२१ गण्ठिका - १३५ गतत्तोति - १३८ गतपच्चागतवत्तं - १५४, १५५, १५६ गतिअत्थो - १८५ गतिविमुत्तं - १ गतेति - १६४ गन्थधरी - १०८ गन्धकुटिपरिवेणे - ४५, २३० गन्धकुटिं - ८, ४५, ४६, ११४, २०४ गन्धपुप्फादीनि - ४४, ४५ गन्धब्बा - ४८ गन्धारीति - २९१ गब्भावासेन - १७८ गभोक्कन्तिसमयो - ३३ गब्भं - ११४, २११ गम्भीरभावो - २०, २१ गरहणे - २७ गरहवचनमेतं - २२३ गरुचीवरं - १६६ गलग्गाहापि - २४४ गवा खीरं - २८४ गहकारक - १६ गहकूटं - १६ 18 For Private & Personal Use Only [ग-ग] www.jainelibrary.org

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