Book Title: Dighnikayo Part 4
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 357
________________ [२६] दीघनिकाये सीलक्खन्धवग्गट्ठकथा [ध-ध] दीपोभासोपि-१५५ दुक्करकारिकसमयो-३३ दुक्खनिरोधगामिनी- १८२,२७६,२८१ दुक्खनिरोधोति-१८२,२८१ दुक्खमूलं-१८२ दुक्खसमुप्पादं - १८८ दुक्खानुपस्सनाय-५९ दुक्खूपसमगामिनं-१८८ दुक्खं-२१,६४,७६,९९,१०४,१३२,१८२,१८६, १८८,२१७,२१९, २२४ दुतियज्झानसुखूपमायं-१७७ दुतियज्झानसुखं-१७७ दुतियज्झानेन-५९ दुतियसन्दिट्ठिकसामफलवण्णना-१४० दुतियसिद्धि-२०३ दुद्धोतपत्तोपि-१६२ दुप्पटिपन्नो-२२ दुप्परिच्चजा-२४५ दुब्बलकोधो-९९ दुब्बलरागो- ९९ दुब्बुट्टिकाति- ८४ दुब्भगकरणन्ति-८५ दुरक्खातो-३७, ५० दुरनुबोधा-८७ दुल्लभो मनुस्सत्तपटिलाभो-४५ दुविधत्थेन-१९ दुविधंसरणगमनं-१८६ दुस्सील्यचेतनाय -७२ देय्यधम्मस्स-२४० देवदत्तो-११५,११९ देवपुत्तसदिसकाया-२०२ देवपुत्तो- ९७, १५६ देवमनुस्सा-५०,१०९,२३०,२६७ देवमनुस्सानं -३१, ४०, २४७ देवयानियमग्गोति -२९३ देवलोकगमनमग्गो-२९२ देवलोकगामिनिं-२९७ देवविमानसिरिं-९ देवानमिन्दो-१५५,१८९ देसकसम्पत्तिं-३५ देसनाकुसलो-४९ देसनागम्भीरो-१४२ देसनाजालविमुत्तो-१०८ देसनापरियोसाने-१९७ देसनासमयो-३३ देसनासम्पत्तिं-३५ दोणमितेति-१३६ दोमनस्सन्ति-१६१ दोसपटिघद्वयं-१०० दोसमोहमदनिम्मदनं-६२ दोसिनाति-११९ द्वत्तिंसवरलक्खणमाला-४० द्वत्तिंससूरियमालाय-४० द्वादसपरिक्खारिकस्स-१६८ द्वादसयोजनाय-५४ द्वादससहस्सगन्थपमाणं-२०० द्वादसायतनानि-१०९ द्वारकवाट-२०४ द्वारविवरणकम-२०४ द्वासविदिट्ठिगतिका-१०८ द्वासहिदिट्ठिजालविनिवेठनं-१४ द्वासट्ठिदिट्ठियो-१०४,११० द्विन्द्रियो-१३४ द्वेपासाय-६२ द्वलक्खणदस्सनवण्णना-२२२ द्वेळहकजातो-६४ धतरट्ठो-४० धनपरिच्चागं-२४४,२४५ धनुअगमनीयं-२१४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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