Book Title: Dighnikayo Part 4
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri
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[३६]
दीघनिकाये सीलक्खन्धवग्गट्ठकथा
[फ-ब]
पुरिसलिङ्गवसेनेव-२०६ पुरिसस्स अत्ता-२८० पुरिसासुभं-१५२ पुरेभत्तकिच्चं - ४४, ४५, ४६ पुरोहितो-२४३ पूरणोति-१२० पेक्खन्ति-७७ पेतवत्यु-१५ पेमनीया-७० पेसितचित्तो-२७० पेस्साति-२४२ पोक्खरणियो-१९९ पोक्खरता-२२७ पोक्खरसातिब्राह्मणो-१९७ पोक्खरसातीति-१९८ पोङ्खानुपोङ्ख-१५३ पोट्ठपादसुत्तं - २७१ पोट्ठपादो-२७१, २७२, २७५, २७९, २८२ पोट्ठपादं - २७३ पोराणा-३४, ५३, ५८, १४४, १९४, २२१, २२७,,
२३३ पंसुकूलधोवने-१११ पंसुकूलानीति-२६५ पंसुपिसाचकादयोयेव-२३२ पंसुवालिका-२२७
फलसच्छिकिरिया-२८१ फलसमाधिसज्ञापच्चया-२७९ फलसमापत्तिं-१३९ फलसीलं-२३५ फस्सनिरोधा-९४ फस्सपच्चयाति-१०६ फस्सपञ्चमका-१०६ फस्ससमुदया-९३, १०८ फस्सादिधम्मानं-३३ फस्सायतनानन्ति-१०८ फस्सोति-१०६ फळुबीजं-७१,७५ फासुका-१६ फासुविहारन्ति-२८७ फुसनलक्खणं-६० फेणपिण्डूपमं-४९
बधिरमकासि-२५१ बन्धनागारिका-१३४ बन्धनामोक्खनिदानं-१७२ बलग्गन्ति-७७ बलवकोधो- ९९ बलवरागो-९९ बलववेदना-११६ बलिसवातं-१४० बहलखेळो-१६३ बहुजनकन्ता-७० बहुजनकुहापनत्थं-२१८ बहुजनमनापा-७० बहुधनं-२२७,२३८ बहुपच्चत्थिका-१२३ बहुस्सुतो-१०८,१५६ बाराणसिराजा-२१० बावरिस्स-१२९, २२२
फणिज्जकं-७५ फरणलक्खणं-६० फरुसवचनसमुदाचारे-२०६ फरुसावाचा-७० फलकसेय्यन्ति-२६५ फलकं-४७ फलजाणं-१७८,२७९ फलपञ्च -२३५
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