Book Title: Dighnikayo Part 4
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 363
________________ [३२] दीघनिकाये सीलक्खन्धवग्गट्ठकथा [प-प] पण्णकुटियो-२५७ पण्णसालं-१९८,२०९, २१०,२४४, २७४ पण्णासयोजनानि-२३० पतितफलभोजनो-२१७ पत्तकल्लं-६,११,१२,१३,१४ पत्तचीवरमादाय -८, ९, १५२,१५३ पत्तचीवरलोभेन -२८१ पत्तचीवरं-१०,३९, २५१,२८१,२८६, २८७ पत्ताळ्हकं-७८ पथमनसिकारो-९० पथविकम्पो-१४,१५ पथविकायो-१३८ पथविगोपको-१३७ पथवीकसिणसमापत्तिं-२७८ पथवीधातु-१५७,१६३ पथवीमण्डलं-२३७ पदभाजनीयं-२५ पदवीमसभूमि-१३५ पदसन्धिकरो-३६,१९१ पदहनलक्खणं-६० पदीपसिखा-४१ पदुट्ठचित्तो-१८९ पदुमगब्भसमानं-२२२ पदुमगब्भे-१९८ पधानयोगं-५५ पनाचारगोचरं-२६२ पन्थदुहनाति-२३८ पपाताति-१३५ पब्बतकूटेन – १२५ पब्बतपदेसं-१७० पब्बतमत्थके-१८३ पब्बतमुद्धनिहितोति-५८ पब्भारलेणसदिसे - १७१ पभस्सरटेन- १७७ पभुसत्तियोगो-२०२ पमाणं-१७, ३५, ३८, ५२, ६३, ६८, २०६, २२९, २४४,३०५ पमादट्ठानं-७८,१६७ पमुखलक्खणं-६१ पमुदितचित्ताति-२३९ पयोगसुद्धि-३० परकोटिं-२५० परज्झासयो-४८ परतोघोसो-९३ परनिम्मितवसवत्तिदेवराजस्स -- १०३ परपरिग्गहितसञिता-६७ परमगम्भीरं-११० परमत्थकथा-२८४ परमत्थकुसलेन-१९ परमत्थतो-३०,६५,१३१,१५७,२८४ परमत्थदेसनाति-१९ परमत्थबाहुल्लतो-१९ परमत्थवचनं-२८५ परमदिट्ठधम्मनिब्बानन्ति-१०३ परमनिपच्चाकारो-१८७ परमविसुद्धं-२६७ परमसीलं-२६७ परमसुक्काभिजातीति-१३४,१३५ परहितधम्मकरणेन-२०२ परहितपटिपत्तिसमयो-३३ पराधीनोति-१७२ परामासकिलेसानं-९३ परिकप्पावहारो-६७ परिक्खारा-१६७, २४०, २४१ परिग्गहलक्खणं-६० परिचारको-११६,२१७ परिच्छिन्ननिद्देसो-३२ परिजाननं -१६१ परिजातक्खन्धो-२२ परिञापहानसच्छिकिरियाभावनावसेन-१८२ परिणायकरतनेन-२०२ 32 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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