Book Title: Dighnikayo Part 4
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 364
________________ [प-प] सद्दानुक्कमणिका [३३] परितस्सितविष्फन्दितमेवाति-९५,१०५ परित्तपच्चुप्पन्नबहिद्धारम्मणं-१८३ परित्तसञी-१०२ परित्तं-५५, ९५, ३०५ परिदीपितधम्मक्खन्धवसेन-२५ परिनिब्बाति-२४५ परिनिब्बानकाले-१६,५१ परिनिब्बानतो-७,८,२८६ परिनिब्बानदिवसे-८ परिनिब्बानधम्मो-२५२ परिनिब्बानसमयोति-३३ परिनिब्बुतो-७, ३४, २८८ परिपक्कफलोति-१६९ परिपाकगतिन्द्रिये-१९६ परिपुण्णलक्खणो-२२२ परिपुण्णिन्द्रियो-१०३ परिब्बाजकसतेति-१३५ परिब्बाजकोति-३६, ४२, २७१, २८२ परिमद्दनधम्मो-१७८ परिमद्दनं-७९ परिमुखं-१७१ परियत्तिधम्मोपि-१८५ परियत्तिब्भाजनत्थतो-१८ परियत्तिभेदं - १९, २१, २३ परियायभत्तभोजनन्ति -२६४ परियुट्ठानप्पहानं-२० परियोसानकल्याणन्ति-१४४,१४५ परियोसानप्पत्ति - २८९ परियोसानलक्खणं-६१ परिवितक्कपुब्बभागो- २७२ परिवितक्को - १०४, २३८ परिवेणे-९ परिसदोसो-२७२ परिसम्बाहति-१८७ परिसुद्धन्ति-१४५ परिसुद्धाजीवोति-१४९ परिसुद्धेन - ११, १७७, २२७ परिहीनलाभसक्कारो-११७ परूळ्हमस्सुदाठिकं-२१२ पलायनाकारं-१७० पलालपुञ्जन्ति-१७१ पलालसन्थारं-१६३ पलिबुद्धाति-५६ पलिबोधमूलन्ति-१७४ पलिबोधो-७,८८,१६२ पल्लङ्कमाभुजित्वा-१३० पवत्तपटिसङ्खानवसेनेत्थ -१६१,१६२,१६३,१६४ पवत्तफलभोजना-२१८, २१९ पवत्तफलभोजीति-२६५ पवारणा-२१७ पवारणासङ्गह-१९६ पविचयलक्खणं-६० पविवेकसुखे-३०० पविवेकेति-१३९ पवुटाति-१३५ पवेणीपालनत्थाय - २२ पसतमत्तं-२४० पसन्नचित्तो-१८५, २८७ पसादचक्खुवोहारेन- १५० पसेनदिरो -२७१ पसंसा-३८, २६२ पसंसावचनं-२०० पसंसासिद्धितो-२६२ पस्सता-४२,४३, ६१ पस्सद्धदरथो-२१५ पस्सद्धिलक्खणं-६१ पस्सद्धिसम्बोज्झङ्गस्स-६० पस्सम्भतीति-१७६ पहानपरिञाय-६३ पहीनउद्धच्चकुक्कुच्चो-१७५ पहीनकामच्छन्दनीवरणं-१७४ पहीनकिलेसो-२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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