Book Title: Dighnikayo Part 4
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri
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[२२]
दीघनिकाये सीलक्खन्धवग्गट्ठकथा
[झ-ठ]
झानरति-२४९ झानवेगो-१०१ झानसभा-२७८, २७९ झानसमापत्तिवित्थारो-२ झानसमापत्तिसुखं -१४४ झानादिपटिलाभाय-५१ झानानुभावसम्पन्नो-९१ झानाभिञादिगुणयुत्तं-१२१ झानं-४,१७६,१९६, २१७,२४७,२७७
जातिवण्णमन्तसम्पन्नो - २३४ जातिवादोति-२१६ जातिसमयो-३३ जातिसम्भेदं -२१० जानपदाति-२३९ जालिनी-२०९ जालियसुत्तं - २५६ जालियोति-२५७ जिगुच्छा - २६७ जिगुच्छामीति-२९१ जिण्णो- २२८ जिनभूमि-१३५ जिनवचनं अप्पेति-३१ जिया-१६९ जिव्हानिबन्धनन्ति-८५ जिव्हाहत्थपरिवत्तकं-१६३ जीरणलक्खणं-६० जीवको कोमारभच्चो - १२५ जीवकोति-११३ जीवतीति-११३ जीवसञी - १३४ जीवितन्तरायो-१६४ जीवितपरिच्चागमयं-२४५ जीवितपरिच्चागवसेन-२४५ जीवितपरियादाना-१०९ जीवितब्रह्मचरियानं -१५१ जीवितसिनेहञ्च-२४७ जीवितिन्द्रियुपच्छेदकउपक्कमसमुट्ठापिका-६५ जीवितिन्द्रियं-६५ जुहनं - ८३ जूतप्पमादट्ठानं-७८ जेट्ठमूलसुक्कपक्खपञ्चमिययेव-७ जेट्ठोहमस्मि-५७ जेतवनमहाविहारे-८
आणकरुणाकिच्चसमयेसु-३३ आणजालं-१९७ आणतस्सनाति-९५ आणदस्सनन्ति-१७८ आणदस्सनविसुद्धत्थं-१७८ आणभयं-१२५ आणसम्पयुत्तमहाकिरियचित्तेसु-८७ आणसंवरो-२६३ आणं-२०, ५५, ८७, ८८, ८९, ९०, १०४, १५०,
१८१,१८२, २५१ जातिपरिवट्टो-१४०, १४९
ठपितद्वत्तिंसचन्दमालाय - ४० ठानगमननिसज्जसयनप्पभेदेसु-११३ ठानुप्पत्तिकपटिभानवसेन-८४ ठिते सम्पजानकारी-१६५
-
स
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