Book Title: Dighnikayo Part 4
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri
View full book text
________________
[१४]
दीघनिकाये सीलक्खन्धवग्गट्ठकथा
[ओ-क]
एकंसिकाति-२८२ एवं अभिसम्परायाति-९३ एवंगतिकाति-९३ एवंपरामट्ठाति-९३ एसिकट्ठायिट्ठितो-९१ एहिभद्दन्तिको-२६४ एळकमन्तरन्ति-२६४
ओ
ओकासलोको-१४२ ओकाससेनासनं-१७० ओक्काकमहाराजस्स-२११ ओक्काको-२०८, २१२ ओक्कामुखो-२०९ ओक्खित्तचक्खू-४० ओघोति-११९ ओट्ठगोणगद्रभअजपसुमिगमहिंसे-१३५ ओट्ठद्धो-२५५ ओतारणं-१६३ ओत्तप्पभयं-१२५ ओदनकुम्मासूपचयोति-१७८ ओनीतपत्तपाणिन्ति-२२४ ओपपातिकोति-२५२ ओभासनिमित्तकम्मन्ति-११९ ओरब्मिका- १३४ ओरमत्तकं-५२, ५४, ५५, ६६ ओरम्भागियानन्ति-२५२ ओसधीनं-८६ ओळारिकत्तभावपटिलाभेन-२८३
कक्खळत्तलक्खणं-५९ कच्छको-७५ कच्छपलक्खणं-८४ कटच्छुभिक्खं - १९६ कटुकरोहिणी-७५ कट्टिस्सन्ति-७८ कणन्ति-२६५ कण्टकवुत्तिकाति-१३४ कण्टकापस्सयिकोति-२६५ कण्डम्बरुक्खमूले - ५४ कण्णकत्थलं-२५९ कण्णजप्पनन्ति-८५ कण्णतेलन्ति-८६ कण्णसुखा-६९ कण्णसोतानुमसनेन-२२३ कण्णिकलक्खणं-८४ कणिक-४२, २४९ कण्हसप्पं-३७ कण्हाभिजाति-१३४ कण्हायनगोत्तस्स-२०७ कण्हो-२१५ कतकरणीयो-१८२ कतपापकम्मवसेन-२८१ कतभत्तकिच्चा-१०, १५३ कतसुधाकम्म-२२२ कतिकवत्तं-९,१५४,१५५ कत्तब्बकिच्चं-९ कत्तरदण्डं - ४०,६६ कत्ताति-६९,२३१ कत्तिकपुण्णमायं-१९६ कथाधम्मोति-४२ कथावत्यु-१७ कथेतुकम्यता पुच्छा-६४,६५,८७ कन्ता -७० कन्तारद्धानमग्गे-१७४ कन्दमूलफलभोजनं-२१९
ककचदन्तपन्तियं-३७ ककचूपमा-१०५ ककुसन्धो-५६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410