Book Title: Dighnikayo Part 4
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri
View full book text
________________
[क -क]
सद्दानुक्कमणिका
कन्दरसालपरिवेणे-२३४ कन्दरे-५५ कपणाति--२४० कपिलब्राह्मणो-२०९ कप्पकाति-१३१ कप्पसतसहस्साधिकानि-५५ कप्प-सद्दोपि-९० कप्पियकारकं -७२,१९१ कबळन्तरायो-२६४ कबळीकाराहारभक्खो-१०३ कमलकुवलयुज्जलविमलसाधुरससलिलाय -४७ कम्बोजो-१०६ कम्मकरणत्थाय-११५ कम्मकारोति-१३९ कम्मजतेजो-९७ कम्मजतेजोधातु-१५३,२२६ कम्मट्ठानवसेनेव-१५८ .. कम्मट्ठानविक्खेपो-१५५ कम्मट्ठानविनिमुत्ता- १५३ कम्मट्ठानविप्पयुत्तेन-१५४ कम्मट्ठानानि-२ कम्मट्ठानाभिमुखं - १७१ कम्मट्ठानं-४५, ४६, ४७, ९३, १५२, १५३, १५४,
१५६,१६०,१६४,१६५, १७१ कम्मनिरोधा-९४ कम्मपच्चयउतुसमुट्ठाना- ९५ कम्मवाचा-७ कम्मसमुदया- ९३ कम्मस्सकतापञ्जा-२६७ कम्मस्सका-३७ कम्मानुरूपमेव -३७ कयविक्कयाति-७३ करजकायो- ९७, १७७, १७९, १८१ करणवचनं -४६ करणविज्जा-८३ करणीयेनाति - २२६, २४९
करुणाविहारेन-३३ करुणासीतलतो-१८५ करुणासीतलहदयं-१ कलम्बतित्थविहारे-१५५,१५६ कलहकारका-१५६ कल्याणपुथुज्जनो-५६ कल्याणवाक्करणो-२२७ कल्याणाधिमुत्तिका -४३ कल्याणियविहारे - १११ कसिगोरक्खादिकम्मं -९६ कसिणपरिकम्म-२५८ कसिणादिकम्मट्ठानिकेहि-१५८ कसिवाणिज्जादिकम्म-१४९ कस्सको-१४० कस्सप -४, २६१, २६३, २६६, २६७, २६९ कस्सपसम्मासम्बुद्धकाले-१९८ कस्सपसम्मासम्बुद्धस्स-२२१,२८१ कस्सपो-५६, ५७, ५९, २६३, २६६, २६९, २७० कळोपिमुखाति-२६४ काकणिकमत्तोपि- १७२ काकरुतजाणं-८३ काकं-२९३ कापोतकानीति-१३७ कामगुणा-१०३ कामगुणेहीति-१०३ कामच्छन्दनीवरणं-१७४ कामच्छन्दो-१७३,१७४ कामभवं-२८३ कामलापिनीति-२०८ कामवितक्का-१६७ कामवितक्कादिसम्पयुत्तो-२९१ कामसञ्जा-२७६ कामावचरदेवग्गहणं-१४३ कामावचरदेवलोको-१४३ कामावचरा-८८,२५३ कामावचरिस्सरो-१४४
15
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410