Book Title: Dharmratna Prakaran Part 03 Author(s): Shantisuri, Labhsagar Publisher: Agamoddharak Granthmala View full book textPage 6
________________ विषय पृष्ठ १२५ २९ । विषयानुक्रम | विषय भावसाधुका सात लिंग १ पुरुषोत्तम का चरित्र १०२ १ मार्गानुसारिणी क्रिया २ गुणानुराग के लिंग १०८ संविग्न गीतार्थ की आचरणा ३७ गुर्वाज्ञाराधन ११२ दुर्बलिका पुष्य मित्र की कथा १० | आचार्य के छत्तीस गुण ११३ सं० गी० की आचरणा १७ गुरुकुलवास का स्वरूप ११९ २ प्रवरश्रद्धा-विधिसेवा २१ | अठारह हजार शीलांग रथ १२० श्री संगमसूरि की कथा गुरुकुलवास का स्वरूप ज्ञानादिक में अतृप्ति कुन्तल-देवी का दृष्टांत १२७ अचलमुनि का चरित्र | गुरु का स्वरूप १२९ शुद्ध-देशना ३८ | गुरु को नहिं छोडने पर निग्रंथमुनि की कथा शैलक-पंथक का दृष्टांत १३३ पात्र में ज्ञान-दान की महत्ता ४६ | गुरु को नहिं छोडने में गुण शुद्ध-देशना | गुरु को छोडने में दोष १३८ स्खलित-परिशुद्धि ५२ | पांच प्रकार के निग्रंथ का स्वरूप शिवभद्र की कथा १३९ ३ प्रज्ञापनीय गुरु अवज्ञा का फल १४२ सूत्र के प्रकार वज्रस्वामी की कथा असद्ग्रह का त्याग | गुरु अवज्ञा का वर्जन सुनंदराजर्षि की कथा धर्म रत्न के योग्य १४८ ४ क्रियाओं में अप्रमाद ७५ | श्रीप्रभ महाराजा की कथा १४९ आर्यमंगु की कथा पूर्वाचार्यों की प्रशंसा ५ शक्यानुष्ठानारंभ ८३ उपसंहार आर्यमहागिरि का चरित्र ८६ सिद्ध का स्वरूप १७४ अशक्यानुष्शन करने पर शिवभूति म्लेच्छ का दृष्टांत १७५ की कथा ९० प्रशस्ति ६ गुणानुराग ५३ | . .mmm k8 १४४ १७१ १७२ १७७ १०१Page Navigation
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