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विषय
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विषयानुक्रम
| विषय भावसाधुका सात लिंग १ पुरुषोत्तम का चरित्र १०२ १ मार्गानुसारिणी क्रिया २ गुणानुराग के लिंग १०८ संविग्न गीतार्थ की आचरणा ३७ गुर्वाज्ञाराधन
११२ दुर्बलिका पुष्य मित्र की कथा १० | आचार्य के छत्तीस गुण ११३ सं० गी० की आचरणा १७ गुरुकुलवास का स्वरूप ११९ २ प्रवरश्रद्धा-विधिसेवा २१ | अठारह हजार शीलांग रथ १२० श्री संगमसूरि की कथा
गुरुकुलवास का स्वरूप ज्ञानादिक में अतृप्ति
कुन्तल-देवी का दृष्टांत १२७ अचलमुनि का चरित्र | गुरु का स्वरूप
१२९ शुद्ध-देशना
३८ | गुरु को नहिं छोडने पर निग्रंथमुनि की कथा
शैलक-पंथक का दृष्टांत १३३ पात्र में ज्ञान-दान की महत्ता ४६ | गुरु को नहिं छोडने में गुण शुद्ध-देशना
| गुरु को छोडने में दोष १३८ स्खलित-परिशुद्धि
५२ | पांच प्रकार के निग्रंथ का स्वरूप शिवभद्र की कथा
१३९ ३ प्रज्ञापनीय
गुरु अवज्ञा का फल १४२ सूत्र के प्रकार
वज्रस्वामी की कथा असद्ग्रह का त्याग
| गुरु अवज्ञा का वर्जन सुनंदराजर्षि की कथा
धर्म रत्न के योग्य १४८ ४ क्रियाओं में अप्रमाद ७५ | श्रीप्रभ महाराजा की कथा १४९ आर्यमंगु की कथा
पूर्वाचार्यों की प्रशंसा ५ शक्यानुष्ठानारंभ
८३
उपसंहार आर्यमहागिरि का चरित्र ८६ सिद्ध का स्वरूप
१७४ अशक्यानुष्शन करने पर शिवभूति म्लेच्छ का दृष्टांत १७५
की कथा ९० प्रशस्ति ६ गुणानुराग
५३ |
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