Book Title: Dharma Sangraha Part 2
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan
View full book text
________________
परिशिष्टम् [ ३ ]
धर्मसंग्रहवृत्तिगतोद्धरणानामकाराद्यनुक्रमः ॥
उद्धरणांशः
[ अ ] अंगुट्ठअंगुलीहिं, [प.व./२३५] अंगुट्ठमुट्ठिगंठीघर- [ आ.नि./ १५७८ ] ३२५ अंजणखंजणकद्दमलित्तो,
पृ०क्र० | उद्धरणांश:
पृ०क्र० अकसिणपवत्तगाणं, [पञ्चा. ४/४२] २२४ ४९९ | अकहमुहकोस - [सं.प्र./२५१] २९० अकामनिर्जरारूपात् [ यो.शा.४/१०७ ] ६९० अकुसलमणोनिरोहो [] अकृत्स्नक्षये [ ]
७०२ २६१
४७४
५८४
अकोविअपरमत्था, [प.व. / २१] अक्कोस अरइ इत्थी, [ प्र. सा. / ६८८ ]७२६ अक्खा संथारो वा, [प.व./८३७] अक्खे वराड वा, [ गु. भा. / २९] अक्रमवदसत् [] अगणी उछिंदिज्ज व,
[प्र.सा./८५० ] ५४५ अंतमुहुत्तवसमओ १, [सं.प्र.स./२२] ६० अंतो णिरवयवंचिअ [प.व. / ३९०] ५६० अंतोनिवसणी पुण, [प्र.सा./ ५३४] ५७२ अंतोमुहुत्तमित्तं पि [ न.प्र./५३]
[ सं . प्र.स./ २४ ] ५५ अंबंबाडकविट्ठे, [ बृ.क. भा. / १७१२] ५६१ अंसुअधोअणलिंपण-[ श्रा.वि./१२वृ. ] ४२३ अंह्निजानुकरांऽसेषु [ ] २२९ अइरेगगहणउग्गाहिएण,
[आ.नि./ १५१६] २५६ अगीओ न वि जाणइ, [ श्रा. जी. / २०] ४३६ अग्गी आदाइणे, [ उ.प./८४० ] अग्गी आदाइणे, [ उ.प./ ८४० ] १२५ | | अङ्गमर्दननीहार- [नी.शा. ]
७०६ ७०४
३६७
३३०
१५२ | अङ्गारभाष्ट्रकरणं, [यो.शा.३/ १०१] १९३ ३६९ | अङ्गुलं सत्तरत्तेणं, [ ओ.नि./२८५ ] ९९ | अङ्गुल्यग्रेण यज्जप्तं, [ ] २३ | अचरमपरिअट्टेसुं, [ च.वि./१९]
२१७
२७
अचित्तदविअवस्सग्गणं [ सं.प्र. / २५२]२९० अचित्तानामपि केषाञ्चिद्
[ओ.नि./ ७५वृ.] १४१
[ओ.नि./ ३१०] ५६२
अइरोसो अइतोसो, [] अईअं निंदामि, [पा. सू. ] अअं पडिक्कमामि [ प. सूत्र ] अईयं निंदामि, [पा.सू. ] अकए बीजक्खेवे, [ उ.प./२४४] अकरंडगम्मि भाणे, [ ओ.नि./ ६९०] ५७४ अकसिणपवत्तगाणं,
[ आ.नि. भा. / १९४] २७०
३७२
२६२
D:\d-p.pm5\3rd proof

Page Navigation
1 ... 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446