Book Title: Dharma Sangraha Part 2
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 397
________________ परिशिष्टम् [३] धर्मसंग्रहवृत्तिगतोद्धरणानामकाराद्यनुक्रमः ॥] [८२७ दुवालसमं वरिसं [नि.चू.] ७५२ | देवसिआ पडिलेहा, [प.व./२५६] ५०४ दुविह तिविहेण पढमो, देवहरयंमि देवा, [श्रा.दि./१२४] २९३ [आ.नि./१५५८] ९५ | देवेषु च्यवनवियोग- [ ] ३८ दुविहं तिविहेण [ ] २०६ | देवेसु उत्तमो लाभो, [प्र.सा./८५३] ५४५ दुविहं पि धम्मरयणं [ध.र./१४०] ५३ | देवो यत्र जिनो [ ] ४८१ दुविहं लोइअमिच्छं, [द.प्र./२४३] ६९ देशं कालं पुरुष- [प्र.र./१४७] १६७ दुविहतिविहा य छच्चिअ, देसं खित्तं तु जाणित्ता, [श्रा.व.भ.प्र.९/प्र.सा.१३२९] ९६ [श्रा.दि./१७४] ३६१ दुविहा अट्ठविहा वा, [श्रा.व.भ.प्र.२] ९९ | देसंमि य पासत्थो, [सं.प्र.गु./१०] ३०३ दुविहा जिणिदपूआ, देसकुलपभिइछत्तीस [सामा./द्वा.११] ७२९ [सं.प्र.देवा./१९१] २३६ | देसस्स य कालस्स य, दुविहा य चरित्तंमी, [आ.नि./७१८] ६५५ [हि.मा./३२०] ३५२ दुविहा य हुंति पाया, देसावगासिअं पुण, [ओ.नि./३७७] ५४७ [सं.प्र.श्रा./१२२] १५४ दुविहा विरयाविरया, देसावगासिअवए, [श्रा.वि./१२वृ.] ४२३ [श्रा.व.भ.प्र.३/प्र.सा.१३२३] ९६ देसिअ राइअ [आ.नि./१५२९] ३८७ दुविहेणणुलोमेणं, [पञ्चा.१५/१६] ४३७ देहकृतस्यात्मना [ध.बिं/११९] ४७ दुविहो अ मुसावाओ देहाइनिमित्तं पि हु, [ पञ्चा.४/४५] २१० [सं.प्र.श्रा./१७] ११५ | | दो चेव नमोक्कारे, दुविहो अ सो वि [ओ.नि./५२२] ५५५ [आ.नि./१५९९] ३२७ दुष्कुलजन्मप्रशस्तिरिति [ध.बि./८३] ३८ | दो चेव मत्तगाई, [पञ्च./१००३] ६५३ दूमिअधूमिअवासिअ, [य.दि./१९३] ५४३ दो जाणू दुन्नि [दं.प्र./४१] २५० दृष्टेष्टबाधेति [ध.बि./१२१] दो तिअ चउर [ ] २५९ देज्जा हि भाणपूरं तु, दो थेर खुड्डथेरे, [पञ्च./६३३] [ओ.नि./६८४] ५७४ दो थेरा सपुत्ता [वृद्धव्या.] ६६० देवं गुरुं च वन्दित्ता, [श्रा.दि./२२५ ]३६७ दो पितापुत्तातो [वृद्धव्या.] देवज्ञैस्तथा निवेदनमिति दो पुत्तपिआ पत्ता, [पञ्च./६३४] ६६० 1 [ध.बि./४-२९] ४७७ | दो सासयजत्ताओ, [श्रा.वि./११वृ.] ४२० देवदाणवगंधव्वा, [उत्तरा.१६/१६] ११९ | दोच्चा वि एरिस [पञ्चा.१८/१६] ६९३ देवद्धिवर्णनमिति [ध.बि./७४] ३६ | दोण्णि तिहत्थायामा, [प्र.सा./५३७] ५७३ देवलोकः सहस्रारो [द्वा.भा./१०४] ६८९ | दोवारे विजयाइसु, [वि.भा./४३६] ६० देवसिअपडिक्कमणे, द्वादशवर्षा स्त्री, [लौ.नी.शा.] [य.दि./३४९] ६३७ | द्विषदां यत्प्रतीकारभिदे देवसिअं पच्छित्तं, [य.दि./३३१] ५९० [वि.सं.१/२०१] २३७ ६६० D:\d-p.pm5\3rd proof

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