Book Title: Dharma Sangraha Part 2
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 427
________________ परिशिष्टम् [ ४ ] धर्मसंग्रहवृत्तिगतग्रन्थकारोद्धृतग्रन्थनाम्नामकाराद्यनुक्रमः ॥] [८५७ श्राद्धविधिप्रकरण, ७८, १३६, | समवायाङ्ग ४८९, ६०८, ६७८ श्राद्धधर्मविधिप्रकरण ३४२, ४२४, ४५३ समवायाङ्गवृत्ति १५६ श्राद्धविधिवृत्ति ८७, १३४, २२०, सम्मतितर्क ६२, ७३० २३०, २४४, ३२८, सम्यक्त्ववृत्ति २९५ ३२९, ४२२ | संसक्तनियुक्ति १३५ श्राद्धसमाचारीवृत्ति ४५१ | सामाचारी ९०, १६७, १९८, श्रावकजीतकल्प ३९१ | वृद्धसामाचारी | ३३७, ४७९, ६६३, ७३७ श्रावकदिनकृत्य २२०, २९४, ३४४ सामायिकसूत्र २८१ श्रावकप्रज्ञप्ति १६८, २९८ सिद्धप्राभृत २८४ श्रावकप्रज्ञप्तिवृत्ति १५६ सूत्रकृत ६५, १६५, ६०३, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्रचूर्णि १५९ | सूत्रकृताङ्ग ६०४, ६२६ [ष] सूयगडांग २५८ स्कन्दपुराण १३० षोडशकप्रकरण ३० स्थानाङ्गवृत्ति षोडशकप्रकरण ४४१, ४४२, ४४३, स्थानाङ्गसूत्र ६७, ३५५, ४८९, ४४५, ४४६, ४४७, ५९९, ६९७ ४५१, ४६३ [ह] [स] हितोपदेशमाला ३५२, ३५३ सङ्घाचार, २२७, २४०, २४३, हैमद्वयाश्रयवृत्ति १२० सङ्घाचारवृत्ति २५८, २६९, ३४७ | हैमपरिशिष्टपर्व ४२७ समरादित्यचरित्र २४७ । हैमश्रीवीरचरित्र २४६ D:\d-p.pm5\3rd proof

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