Book Title: Dharma Sangraha Part 2
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 405
________________ परिशिष्टम् [३] धर्मसंग्रहवृत्तिगतोद्धरणानामकाराद्यनुक्रमः ॥] [८३५ पीठग णिसज्ज दंडग, [प.व./८३४] ५८२ | पुव्वं व पुत्तिपेहण- [प्र.स./२८] ३८७ पीतं स्तम्भेऽरुणं [यो.शा.८/३१] २१७ | पुव्वं वण्णेऊणं, [व्य.भा.३/१६७] ७३९ पुक्खरणी आयारे, [व्य.भा.३/१६८] ७४० पुव्वण्हे लेवदाणं, [ओ.नि./३७९] ५४७ पुक्खरणीओ पुट्वि, पुव्वधरकालविहिआ, [व्य.भा.३/१७०] ७४० [सं.प्र.दे./१७७] २२८ पुच्छे वज्जेज्जऽहोरत्तं [ ] ५४१ | पुव्वविहिणेव पेहिअ, [प्र.स./२३] ३८६ पुढविदगअगणिमारुअ पुव्वविहिणेव सव्वं, [प्र.स./३७] ३८७ [प्र.सा./५५६] ६७६ | पुव्वाउत्तं कप्पइ, [पञ्चा.१०/३७] ४५६ पुढवीआउक्काए, [ओ.नि./२७३] ५०५ पुव्वाभिमुहा उत्तरमुहा य, पुढवीआउक्काए, [ओ.नि./२७५] ५०६ [य.दि.३२९] ५९० पुण पणवीसुस्सासं, [प्र.स./२०] ३८५ | पुव्वाभिमुहो उत्तरमुहो पुण हिट्ठामुहकरयल, [बृ.वं.भा./१४] ३१७ [वि.भा./३४०५] ४८० पुत्तं पइ पुण उचिअं, [हि.मा./२८९] ३५७ | पुव्वि कोडीबद्धा, [व्य.भा.३/१७८] ७४० पुत्तिं पेहिअ तो [य.दि./२८२] ५६९ | पुचि चउद्दसपुव्वी, पुप्फफलाणं च रसं, [ ] १४२ [व्य.भा.३/१७३] ७४० पुष्फफलोदगरयरेणु- [ओ.नि./७०२] ५७५ | पुव्वि सत्थपरिणा, पुष्फामिसथुइभेआ, [ दं.प्र.३७] २५० 1 [व्य.भा.३/१७४] ७४० पुर: प्रज्वाल्य [ ] २४७ | पुट्विपच्छा संथव, [पिं.नि./४०९] ५३२ पुरओ जुगमायाए, [ द.वै.५/१/३] ६८० | पुव्वोइअगुणजुत्तो, [पञ्चा.१०/२०] ४५५ पुरओ पक्खाऽऽसन्ने, [ ] ३१४ पुव्वोवट्ठपुराणे, [पञ्च./६१७] ६५८ पुरकम्मपच्छकम्मे, [ओ.नि./५१९] ५५३ | | पुष्कराड़े द्विसप्तति- [द्वा.भा./९७] ६८९ पुरिसज्जाए वि तहा, [आ.नि./६७९]६४८ | पुष्टिः पुण्योपचयः, [षोड.३/४] ६ पुरिसासणसयणीए, [श्रा.वि./१२वृ.] ४२३ | पूअं पि पुष्फामिस- [ ] २३६ पुरिसासणे तु इत्थी, [ ] ६७८ | पूअंगपाणिपरिवार- [चे.वं.म./१९०] २४१ पुरिसुवहिविवज्जासे [ओ.नि./२७१] ५०५ | पूआ वंदणमुस्सग्ग, [पञ्चा.८/३३] ४५० पुरिसे काले खवगे, [ ] ५४२ पूआए कायवहो, [ ] २२४ पुरिसे पडुच्च एए, [प.व/३०५] ५२७ पूआए मणसंती, [सं.प्र.देवा./१९९] २३८ पुरुष एवेदं सर्वम् पूआपच्चक्खाणं, [श्रा.वि./११७.] ४२० [ऋ.वे.१०/९०/२] १७२ पूआवंदणमाई, [चे.म.भा./३९] २४३ पुरुषकारसत्कथेति [ध.बि./८७] ४० पूजकः स्याद्यथा पूर्व, [ पूजा.४] २३८ पुव्वं अपासिऊणं, [ ] १७७ पूजाकोटिसमं स्तोत्रं, [उ.त./८९] २१७ पुव्वं छम्मासेहि, [व्य.भा.३/१८०] ७४१ | पूतिगन्धीन्यगन्धीनि, [ ] २३० पुव्वं ठंति अगुरुणो, पूर्वं तावन्मिथ्यात्वं [श्रा.वि.व.] ८७ [आ.नि./१५४४] ३८९ | पूर्वपूर्वत्रिदशेभ्य- [ द्वा.भा./११०] ६९० D:\d-p.pm5\3rd proof

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