Book Title: Dharma Sangraha Part 2
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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परिशिष्टम् [३] धर्मसंग्रहवृत्तिगतोद्धरणानामकाराद्यनुक्रमः ॥]
[८४३ वज्जइ अब्भक्खाणं,
ववहारसुद्धिदेसाइ- [श्रा.वि./७] ३४८ [श्रा.वि./१२व.] ४२२ | ववहारसद्धी धम्मस्स. [ श्रा.दि./१५९३५२ वज्जइ तिव्वारंभे, [ध.र./६५] ३४९ ववहारावस्सयमहानिसीह- [ ] २५१ वज्जेअव्वा य ठाण- [प.व./२४५] ५०२ | ववहारो पुण पढम, [चे.म.भा./५१] २४३ वज्रामय्यां शिलायां [भ.श.१९/उ.३] १२९ | ववहारोऽभूअत्थो, [ ]
६५ वर्ल्ड समचउरंसं, [ओ.नि./६८६] ५४६ | वसहिं पमज्जिऊणं, [य.दि./२८४] ५६९ वड्डिए चिप्पिए चेव, [ ]
वसहिकहनिसिज्जिन्दियवण्णाइतिअं तु पुणो, [दं.प्र.३८] २५०
[प्र.सा./५५८] ६७८ वत्तणा संधणा चेव, [आ.नि./६९९]६५२ | वसही पमज्जिअव्वा, [ प.व./२६४] ५०७ वत्तपइट्ठा एगा, [चै.बृ.भा./३५] ४४७ | वसही-सयणाऽऽसणवत्थं असोहयंतो, [य.दि./२१२] ५५० | [उ.मा.२४०/सं.प्र.श्रा.१४०] १६७ वत्थं पत्तं च पुत्थं च,
वसुदेवो पच्चूसे [ वसु.हि.] २३२ [श्रा.दि./१७८] ४२४ | वहबंधणउब्बंधण-[सं.प्र.श्रा./४४] ११९ वत्थे अप्पाणंमि अ,
वामंगुलिमुहपोत्ती, [बृ.वं.भा./६] ३१६ [ओ.नि.भा./१६१] ५०० वामकरगहियपोत्तीइ, [बृ.वं.भा./१०] ३१६ वत्थे काउद्घमि अ,
वायंति जत्थ सीसे, [ य.दि./१०७] ५११ [ओ.नि.भा./१५९] ४९९ | वायणपडिसुणणाए, [आ.नि./६८९] ६४९ वत्थेण बंधिऊणं, [पञ्चा.४/२०] २२६ वायवहनाडिपायं, [य.दि./१७६] ५२३ वन्दित्वा श्रीमदर्हन्त- [प.प.११/७७] ४२८ | वायाइ नमुक्कारो, वपनं धर्मबीजस्य, [ ]
[बृ.क.भा./४५४५] ३४५ वय समणधम्म संजम,
वायाइ नमोक्कारं, [ओ.नि.भा./२] ६७५
[बृ.क.भा./४५४४] ७०८ वयकायविरहिआण वि, [म.भा./४] १४७ वालो सरस्स भंगं [सं.प्र.श्रा.८१] १२९ वयभने गुरुदोसो, [पञ्चा.५/१२] ३२६ वासं कोडीसहिअं, [पञ्च./१५७६] ७५३ वयमिह परितुष्टा [ ]
४८३ वासत्ताणे पणगं, [प.व./८३५] ५८२ वरं ज्वालाऽऽकुले क्षिप्तो, [ ] ३७ वासासु नत्थि अग्गी, वरबोधिलाभप्ररूपणेति [ध.बि./१२५] ४८ | [ओ.नि.भा./१७७ प.व./२८५] ५१६ वरसुरहिमल्लसुअणम्मि,
वासासु पनरदिवसं, [ ]
१३५ [आ.नि./११०२] २७६ वासोवग्गहिओ पुण, [ओ.नि./७२६] ५८१ वरिससयाओ उठें, [बि.प./१५] ४४७ | वाहणरोहणलिक्खाइवर्तमानताकल्पं [ध.बि./११०] ४५
[श्रा.वि./१२वृ.] ४२३ वर्षाणि भरतादीनि, [द्वा.भा./८२] ६८७ | विंटिअबंधणधरणे, ववसायफलं विहवो, [पु.मा./५६] ३५१] [ओ.नि./२९५ प.व./२८२] ५१५ ववहारओ उ जुज्जइ, [उ.प./९५१] २१ | विअणभिधारण वाए, [पञ्च./६६५] ६६३
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