Book Title: Dharma Sangraha Part 2
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 401
________________ परिशिष्टम् [३] धर्मसंग्रहवृत्तिगतोद्धरणानामकाराद्यनुक्रमः ॥] [८३१ पंचोवयारजुत्ता, [चे.वं.म./२०९] २३६ | पच्छिमजामं सेसं, [य.दि./२८०] ५६८ पंडए वाइए कीबे, पञ्चपञ्चातिचारा उ [उपा.१/७सू.] १९७ [नि.भा./३५६१, प्रव.७९३] ४७० | पञ्चामृतं तथा [ पूजा.१६] २३९ पंथुच्चारे उदए, [बृ.क.भा./१४७३] ७१५ | पञ्चैतानि पवित्राणि, [अ.प्र.१३/२] ३२ पंथं तु वच्चमाणो, [ओ.नि./३२६] ७१२ | पट्टगमत्तयगसमोग्गहो [ओ.नि./६३०] ५६८ पइवरिसं सङ्घच्चण, पट्टो वि होइ एगो, [प्र.सा./५३२] ५७१ [श्रा.वि./१२उत्त.] ४२४ | पट्टविओ कज्जनिमित्तं [आ.नि.वृ.] ३८९ पउमुप्पले अकुसलं, [ओ.नि./६८९] ५४७ | पठति पाठयते पठतामसौ [ ] २११ पक्कघयं घयकिट्टी, [प्र.सा./२२९] ३३७ पडिकमओ गिहिणो [चै.मू.भा./६०] २३५ पक्कणकुले वसंतो, पडिकमणे चेइअ [चै.मू.भा./५९] २३४ [आ.नि./१११२] ३०४ | पडिकूले(वि)अ दिवसे पक्कणकुले वसंतो, - [पञ्चा.१५/२०वृ.] ४३८ [आ.नि./१११२] ७०५ पडिक्कमणं पडियरणा पक्खस्स अट्ठमी [ ] ३७० [आ.नि./१२३३] ३७५ पक्खिअचाउम्मासिअ, पडिक्कमणे चेइअ [चै.भा./५९] ५५४ [पञ्चा.१४/१०] ४३२ पडिक्कमणे सज्झाए, [गु.भा./१७पू.] ३७६ पक्षपातो न मे वीरे, [लो.नि./३८] ७० | पडिक्कमणे सज्झाए, पगईइ मंदा वि [ द.वै.९/१/३] ४८७ [आ.नि./१२००] ३०८ पच्चक्खं न पसंसइ, [हि.मा./२९२] ३५७ पडिबद्धा इअरे वि अ, पच्चक्खाणं च काऊणं, [पञ्च./१५४२] ७७६ [श्रा.दि./८४] ३४३ | पडिबुज्झिसंति इहं, [पञ्चा.७/२८] ४४४ पच्चक्खाणं जाणइ, पडिरूवग्गहणेणं [व्य.भा.] [आव.भा./२४७] ३४० पडिरूवो खलु विणओ, पच्चक्खाणं तु [श्रा.दि./२२] २२० [पु.मा./४०७] ७०२ पच्चक्खाणं तु जं तंमि, पडिलेहणं करेंतो, [ओ.नि./२७२] ५०५ [स्त्रा.दि./२२] २१९ | पडिलेहणं कुणंतो [गा.स./३७२] ६८१ पच्चक्खाणं सव्वण्णु पडिलेहणा उ काले __ [आव.भा./२४६] ३४० [बृ.क.भा./१६६०] ५१६ पच्चक्खाणंमि कए, पडिलेहणा उ दुविहा, [आ.नि./१५९४] ३४१ __ [ओ.नि./६२८] ५६८ पच्चक्खाय पच्चक्खा पडिलेहणा पमज्जण [प.व./२३०] ४९५ [आ.नि.१६१३] ३२५ पडिलेहणा पमज्जण- [प्र.सा./७६८]६५६ पच्छन्ने भोत्तव्वं, [प.व./३९१] ५५७ | पडिलेहणिआकाले, पच्छा गच्छमुवेइ, [पञ्चा.१८/१३] ६९२ [ओ.नि.भा./१७४] ५११ ७०२ D:\d-p.pm5!3rd proof

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