Book Title: Dharma Sangraha Part 2
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 382
________________ ८१२] [धर्मसंग्रहः करधरिअजोगमुद्दो, [चे.वं.म./१९१] २४२ | काऊण तक्खणं चिअ, करयलं जाव कट्ट [ ] २४१ [श्रा.प्र.३१७] २०० करसन्नभमुहखेवा- [श्रा.ध./३४] काऊण वामजाणुं, [य.दि./२१] ५९२ कर्णाटी सुरतोपचार- [ ] १४६ काऊण विहिणा [श्रा.दि./२४] २२६ कर्मणां नः क्षयो [द्वा.भा./५५] ६८५ काऊण सयणवग्गस्स कर्मभिरेव स जीवो, [ ] [श्रा.दि./२९४] ४१४ कलान्तमपोज्झति खेदं, [ ] १६ काऊणं विहिणा पहाणं, कलिकारओ वि [सं.प्र.श्रा./४३] ११९ [श्रा.दि./२४पू.] २२२ कल्पनामात्रमन्यथेति [ध.बि./१०५] ४३ काएण अस्थि जइ किंचि, कल्याणपरम्परा-[ध.बि./७६] ३७ [श्रा.दि.७९] २४९ कल्लाणगाईकज्जा, [चे.म.भा./५३] २४४ काकारसमुच्चारण- [बृ.वं.भा./१५] ३१७ कल्लाणयतवमहवा, [चे.वं.म./२९] २२९ | कामं खलु सव्वण्णू, कल्लोलचपला लक्ष्मीः, [बृ.क.भा./९६३] ७१३ [यो.शा.४/५९] ६८२ कायकण्डूअणं वज्जे, [श्रा.दि./५८] २२८ कष-च्छेदयोरयत्न इति [ध.बि./९७] ४२ कायप्रमाण आत्मा [ ] २६९ कषादिप्ररूपणेति [ध.बिं/९२] कायव्वं कज्जे [हि.मा./३०७] ३५९ कषाया विषया योगाः, कायव्वा पुण भत्ती, [यो.शा.४/७८] ६८४ [द.वै.नि./४८वृ.] ७०१ कष्टं वेदयमानानां, [द्वा.भा./५७] ६८६ काया वया य ते च्चिअ, [ ] ५९९ कह घेत्थमो त्ति पच्छा, [प.व./२९२] ५२० कायोत्सर्गे कृतेऽपि [श्रा.वि.गा.५७.] २१९ कह न हु पमायपंके, [य.दि./८] ४९६ | कारणादधिकां मन्ये, [ ] कह वि हु पमाय- [य.दि./२५८] ५६२ कारणिएहिं च समं, [हि.मा./३१०] ३५९ कहं नमंति सीसं ? [सङ्घा.वृ.] २६९ कारवणेऽवि अ [ पञ्चा.७/२१] कहणाइअव्वक्खित्तं, [पञ्च./३३०] ५५२ काल एव कृत्स्नं [ ] २६७ कहण्णं भंते ! जीवा [भ.सू./२०३] ३६२ काल-यदृच्छा-नियतीश्वर- [ ] १७३ कहमन्नह एगाए, [ ] २४३ | कालंमि संकिलिट्टे, कहिऊण य कायवए, [पञ्च./६६३] ६६३ [पं.क.भा./१७४९] ७०६ काइअसंनाडगलं, [ य.दि./२७६] ५६६ | कालतिगेण गुणिआ, [वि.स./१६] २५४ काइयमाइअजोगं, [प.व./२८७] ५१९ | कालपरिहाणिदोसा [प.व./३०] ४७६ काउं उज्जोअगरं, [प्र.स./१९] | कालपरिहाणिदोसा, [प.व./३७] ४७५ काउं पडिग्गहं [प.व./३४०] ५५३ | कालमकाले सण्णा, [ओ.नि./३०९]५६२ काउस्सग्गंमि ठिओ, कालविणयाइरहिओ, [सं.प्र.गु./१५] ३०३ [ओ.नि./५१२, पञ्च./३२०] ५५२ कालस्ततो महाकालः, [द्वा.भा./७६ ] ६८७ काउस्सग्गे जह [आ.नि./१५५१] ३९० | कालाइदोसओ जइ, [प्र.सा./७७४] ७११ ४३२ ४४३ D:\d-p.pm513rd proof

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