Book Title: Dharma Sangraha Part 2
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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परिशिष्टम् [३] धर्मसंग्रहवृत्तिगतोद्धरणानामकाराद्यनुक्रमः ॥]
[८२३ तत्थ गमिऊण रयणिं,
तन्त्रावतार इति [ध.बि.६७] [श्रा.वि./१२वृ.] ४२९ | तन्नेत्रस्त्रिभिरीक्षते [ ]
३९ तत्थ जहन्नो गिम्हे, [ ]
७७३ तपःप्रभृतिभिर्वृद्धि, [द्वा.भा./५८] ६८६ तत्थ ढड्डरो नाम [ आ.चू./४०३] २५१ | तपुव्वयं जयत्थं, [ प.व./२९०] ५२० तत्थ णं बहवे [ जी.सू.]
तप्पडिबद्धं तं जाव [प्र.सा./६८४पू.]६७३ तत्थ न कप्पइ वासो [ ] ७४९ | तप्पणइणिपुत्ताईसुं, [हि.मा./२८२] ३५५
७४९ तत्थ पभाए राया, [श्रा.वि./१२वृ.] ४२९ | तमेव सच्चं णीसंकं [भ.सू.] ७१ तत्थ य चिंतइ [प्र.स./२९] ३८७ | तम्बोल-पाण-भोअण [सं.प्र./८७] २८९ तत्थ य धरेइ [प्र.स./७]
| तम्हा उ निम्ममेणं, [य.दि./११०] ५११ तत्थ य पंचुवयारा, [चे.वं.म./२१०] २३६ | | तम्हा पमाणजुत्ता, [ओ.नि./२२६] ६३८ तत्थ य परिभासेसा [5.वं.भा./१९] ३१७ तम्हा सइ सामत्थे, [ द.शु./१९७] २१२ तत्थ वि सो इच्छं से,
तम्हा सव्वपयत्तेणं, [श्रा.दि./१६४] ३५२ [आ.नि./६७५] ६४८ तम्हा णिच्चसईए, [पञ्चा.१/३६] ८८ तत्थ समणोवासओ [आ.सू.६/३६] ७२ | तयणु हरिसुल्लसंतो, तत्थहिगारी अत्थी, [श्रा.वि./४] ५२
[चे.वं.म./१९४] २४२ तत्थायण्णण जाणण [ध.र./३४] ८४ | तयभावे तग्गेहे, [हि.मा./२९७] ३५८ तत्परं पुरुषख्याते- [पात.यो.१/१६] ४८४ | तहि उत्तराहि तह [ग.वि./२६] ४७९ तत्पर्यायविनाशे, [ ]
तल्लीनमानसः स्वस्थो, [व्य.शा.] २२३ तत्प्रकृतिदेवताधि- [ध.बि./६०]
तवसंजमजोगेसुं, [आ.नि./११०४] ३०२ तत्संभवपालना- [ध.बि./९४] ४१ | तवेण सत्तेण सुत्तेण, तत्संभवपालना- [ध.बि./सू.९४]
[बृ.क.भा./१३२८] ७६९ तत्स्वरूपकथनमिति [ध.बिं./७८] | तव्विहिसमूसगो खलु, तथाभव्यत्वादितो [ध.बि./१२६]
[पञ्चा.१५/१३] ४३३ तथ्ये धर्मे ध्वस्त- [ ]
| तसबीयरक्खणट्ठा, तदधिकतरस्यानभिधानादि [ ] २३४
[बृ.क.भा./१६६६] ५१७ तदधो परिभवखेत्तं, [प.व./५१] ४६७ | तसाइजीवरहिए, [श्रा.दि./२३] २२२ तदुभयसुत्तं पडिलेहणा य
तस्मात् सदैव धर्मार्थी, [यो.बि./२२४] ३३ [बृ.क.भा./१५४३] ७१७ | तस्या उपरि गव्यूत- [ द्वा.भा./११५] ६९० तदेतद्यावज्जीवं वा, [यो.शा.३/३वृ.] १२४ | तस्योपरि च दशसु, [द्वा.भा./९३] ६८८ तइंसिअनीईए, [हि.मा./२९९] ३५८ तस्योपरि च विंशत्यां, [द्वा.भा./९४] ६८८ तद्दिट्ठीए तम्मोत्तीए [ ]
४८५ | तस्स वि अ इमो णेओ, [पञ्चा.७/१८] ४४२ तद्दोस गुव्विणी, [ओ.नि./४६८] ५३६ तह आउट्टिअदप्प- [पञ्चा.१५/१८] ४३७ तद्भावेऽपवर्ग इति [ध.बि./१३२] ४९ / तह उस्सग्गुज्जोआ, [प्र.स./३९] ३८७ तद्भावेऽपि तापाभावे- [ध.बि/९८] ४२ | तह काउस्सग्गेणं, [ ]
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