Book Title: Dharma Sangraha Part 2
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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८२४]
[धर्मसंग्रहः तह चउमासिअतिअगं,
तित्थयरं पवयणसुअं, [उ.प./४२३] ६१ [श्रा.वि./११वृ.] ४२० | तित्थयरधम्मआयरियतह दीवबोहणे [श्रा.वि./१२वृ.] ४२३
[द.वै.नि./४८वृ.] ७०१ तह देसकालजाणण,
तित्थयरपवयणसुअं, [उ.प./४२३] २९३ [द.वै.नि./४८वृ.] ७०१ | तित्थयरवज्जिआणं, [प्र.सा./५२०] ५७९ तह पक्खिआइदिअहे, [य.दि./२८८] ५६९ | तित्थयरसमीवे वा, [ ]
७७३ तह परहिअम्मि जुत्तो, [ पञ्चा.१५/१५] ४३४ | तित्थयरसमो सूरी, [ग.प्र./२७] ४८८ तह सव्वणत्थदंडे, [श्रा.वि./१२वृ.] ४२३ | तित्थयरसिद्धकुलगणतहा कोहं च माणं च [श्रा.दि./३०२] ४१६
[द.वै.नि./३२५] ७०२ तहारूवं समणं वा [ ]
४०५ | तित्थसिद्धा, अतित्थसिद्धा तहारूवं समणं वा [भ.सू.] २२४
[प्रज्ञा.सू.] २८३ तहेव काणं काण त्ति,
तित्थाहिववीरथुई, [चै.वं.भा./४५] ३७३ [द.वै./७-१२] ६६६ | तित्थे सुत्तत्थाणं [ उप.प./८५१] ४७३ ता एअं मे वित्तं, [पञ्चा.७/२८] ४४४ | तिथिपर्वोत्सवाः सर्वे [ ] १६५ ता तंऽसि भावविज्जो, [पञ्च.१३५१]७३७ | तिथिपर्वोत्सवाः सर्वे, [ ]
१८ ता नज्जई नो दोसो, [सं.प्र.दे./१७९] २२९ | तिदिसिनिरिक्खण- [चै.भा./७] २५० ता बीअपुव्वकालो, [वि.विं.५/१६] २७ | तिन्नि निसीही [चै.भा./६] २५० ता रहणिक्खमणाइ वि,
तिन्नि वा कड्डइ जाव, [पञ्चा.९/४२] ४३०
1 [व्य.भा./३७७५] ३४७ ताहे एगो साहू [ ]
४९७ | तिन्नि विहत्थी चउरंगुलं ताहे तइअपहरे [ओ.नि./६६०७.] ६४४
[प्र.सा./५००] ५७३ ताहे दुरालोइअ- [ओ.नि./२७४] ५५४ | तिन्नेव उत्तराई, [प्रा.सा.द्वा./२०] ७६३ तिणि कसिणे [बृ.क.भा./३९८६] ६४२ | तिन्नेव य पच्छा [ओ.नि./६६९] ५७० तिण्णि वा कड्डई जाव,
तिल मुग्ग मसुर, [ ] [व्य.भा./३७७५] २३२ तिलेक्षु सर्षपैरण्ड- [यो.शा.३/११०] १९६ तिण्णि वा कई जाव,
तिल्लमल्ली तिलकुट्टी, 1 [व्य.भा./३७७५] २३४
[प्र.सा./२३१] ३३७ तिण्हं दुप्पडिआरं [स्था.३/१/१३५] ३५५ | तिवरिसपरिआगस्स उ, [प.व./५०] ४९० तिण्हं सहसपुहुत्तं, [आ.नि./८५७] ६६०| तिव्वतवं तवमाणो, तिण्हं सहसपुहुत्तं, [सं.प्र.स./३१] ६०
[सं.प्र.श्रा./११६] १५३ तिण्हं सहसमसंखा, [सं.प्र.स./३२] ६० | तिसृभिर्गुप्तिभिर्योगान् , तित्तीसं च पयाई, [ ]
२६९
[यो.शा.४/८४] ६८५ तित्थं तित्थं ? [भ.सू.२०/६८२] ७९ | तिहिं ठाणेहिं संपन्ने [स्था.सू.] ४८९ तित्थंकरभत्तीए, [पञ्चा.१/३७] ८८ | तिहुअणठवणजिणे, [चै.वं.भा./४४] ३७३
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