Book Title: Dharma Sangraha Part 2
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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८०४]
[धर्मसंग्रहः अह वाघाइअकाले, [य.दि./३५०] ६३७ | आगाढजोगवाही [ ओ.नि./५४८] ५५५ अह सुअसमिद्धिहेउं, [प्र.स./२१] ३८६ | आग्नेय्यां तु यदा [ पूजा.६] २३८ अहच्छंदब्भुट्ठाणं, [गु.वि.३/१२४] ७०६ आचार्यादिष्वपि ह्येतद्, [यो.दृ./२६] २३ अहमवि खामेमि [बृ.वं.भा./२७] ३१८ आणाईसरिअं वा, [सं.प्र.श्रा./४२] ११९ अहयं तुब्भे एअं, [आ.नि./६७३] ६४७ आणागेज्झो अत्थो, [पञ्च./९९४] ७३४ अहवा अणिट्ठकुसुमाई- [सं.प्र./२५३] २९० आणाबलाभिओगो, [आ.नि./६७७] ६४८ अहवा णाणाइतिगं [ ]
२९३ आत्मकृतस्य देहेनेति [ध.बि./१२०] ४७ अहवा णाणाईणं, [आ.नि./६७६] ६४८ आत्मा न बध्यते, [शा.स./३-३४] ४४ अहवा वि भावभेआ, [पञ्चा.३/३] २३३ | आत्मैव दर्शन-ज्ञान-[यो.शा.४/१] ६४ अहवा वि विणासंतं,
आदित्योदयवेलायां, [ ] [आ.नि./६७२] ६४७ आदेसेण वा गब्भ- [नि.चू./३५४३] ४६७ अहवा सव्वं चिअ [ ]
४१५ | आन्तर्मुहूर्तिकं सम्यग् - अहसम्ममवणयंगो, [प्र.स./१४] ३८५
[यो.शा.१/१७व.] ५७ अहसीसोरयहरणे, [बृ.वं.भा./२६] ३१८ आपदां कथितः पन्था, [ ] ११ अहासुहुमो अ एएसुं [ ]
७२० आपुच्छण त्ति पढमा, [ओ.नि./२२८] ५२१ अहिआसिअणहिआसिअ,
आपुच्छिउं पयट्टइ, [हि.मा./२७५] ३५४ [य.दि./३२२] ५८९ | आभिग्गहिअमणभिग्गहं [सं.प्र.स./४७] ७० अहिगारिणो य पंच य [गुरु./२] २९९ | आमं विदग्धं विष्टब्धं, [ ] १४ अहिगारी अ गिहत्थो, [पञ्चा.७/४] ४४१ आमंतणि आणवणी, [प्र.सा./८९४] ६६९ अहियासिआ उ अंतो, [ओ.नि./६३३] ५८९ | आमगोरससम्पृक्तं, [यो.शा.३/७] १३६ अहो जिणेहिं [द.वै.५/९२]
| आमासु अ पक्कासु अ अहो जिणेहिं असावज्जा,
[सं.प्र.श्रा./७५] १२७ [य.दि./२३३] ५५४ | आमे धडे निहत्तं, [पञ्च./९८२] ७३३ अहोराइया तहिं [ ]
आयप्पमाणमित्तो [प्र.सा./१२५] ३११ अह्नो मुखेऽवसाने च, [यो.शा./६३] १३१ आयप्पमाणमित्तो, [व.नि.] ३७१ [आ]
आययणं खु निसेवइ, [ध.र./३७] ८४ आ स्नात्रपरिसमाप्ते- [अर्हद्./३/४] २४५ आययणसेवणा [ ]
२०६ आइमकाउस्सग्गे, [आ.नि./१६९५] ३७७ आयरपकप्पो अ नवमे, आएसं बहुमन्नइ, [हि.मा./३००] ३५८ 1 [व्य.भा.३/१७१] ७४० आकंपइत्ता अणुमाणइत्ता
आयरिअ उवज्झाए, [प्र.सा./१०२] ३०२ [आ.वि./११] ४३९ आयरिश्रमि गिलाए, [ओ.नि./४२६] ५२२ आक्रुष्टोऽपि हि नाक्रोशेत्,
आयरिअअभाविअ- [ओ.नि./५५६] ५५६ [यो.शा./३/१५३वृ.] ७२५ | आयरिअउवज्झाए [व्य.४/१३] ७४२ आगमतत्त्वं तु परं, [षोड.२/११उ.] ३१ | आयरिअउवज्झाए, [प्र.सा./५५७] ६७७
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