Book Title: Dharma Sangraha Part 2
Author(s): Chandanbalashreeji
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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परिशिष्टम् [३] धर्मसंग्रहवृत्तिगतोद्धरणानामकाराद्यनुक्रमः ॥]
[८०१ अतो दिशन्ति चारित्रं, [ ] ३७३ | अन्ने बिंति इगेणं, [चै.मू.भा./२४] २३३ अतोऽन्यथैतत्सिद्धिरिति [ध.बि./१२२] ४७ | अन्ने भणंति तिविहं, [ उ.प./९४९] २० अतथ्यान्यपि तथ्यानि, [ ] ४७९ अन्नेसिं सत्ताणं [सं.प्र.स./४२] अस्थि अ णिच्चो [प्र.सा.९४१] ७७ अन्नोन्नविक्खाए, [पञ्च./६९९] ७०३ अत्र प्रतिनिकायं [ द्वा.भा./८०] ६८७ अन्यथा तदयोग इति [ध.बिं/११२] ४५ अथानिवृत्तिकरणाद्,
अन्यथा याचितक- [ध.बि./१०१] ४२ [यो.शा.१/१७व.] ५६ | | अन्यधर्मस्थिताः सत्त्वाः [ ] ४१ अर्थादावविधानेऽपि, [यो.बि./२२३] ३३ | अन्यायद्रव्यनिष्पन्ना, [ ]
४४७ अइंसणंमि अ तहा, [प.व./२३८] ५०० | अन्यैस्तेनार्जितं वित्तं [यो.शा.४/६९] ६८३ अइंसणेण अइदंसणेण [ ] ३५६ | अपदेशस्तु कारणे [अ.सं.४/३१०] २०५ अद्दामलगप्पमाणे, [सम्बो.स.९४] १४२ अपध्यानाचरितव्रते [ध.बि./१६३७.] १९९ अद्धकओ इक्खुरसो, [प्र.सा./२३२] ३३८ अपरप्पेरिअतिरिआ- [पञ्च./६४६] ६६२ अद्धनिबुड्डे बिंबे, [य.दि./३२४] ३६९ | अपरिग्रह एव भवेद् [स्त्री.प्र.१३] १२२ अद्धमसणस्स सव्वं- [प्रव./८६७] ६७४ अपरिमिअपरिग्गहं [प्र.आ.सू.५] १२१ अद्धमसणस्स सव्वं- [य.दि./२४४] ५५८ अपायहेतुत्वदेशनेति [ध.बि./८१] ३८ अद्धोरुओ वि ते दो वि,
अपुनर्बन्धकस्यायं [यो.बि./३६९] २२ [प्र.सा./५३३] ५७२ अपुनर्बन्धकस्यैवं, [यो.बि./२५१] २४ अधश्च मुक्त्वा पिण्डस्य,
अपुव्वं दट्टणं, [आ.नि./११२५] ३४४ [द्वा.भा./६६] ६८६ अपुव्वनाणगहणे [आ.नि./१८१] २८१ अधीते यत्किञ्चित् [ ] १८१ | | अपूर्वासन्नभावेन, [यो.दृ./३९] २८ अधौतमुखहस्ताङ्घि- [नी.शा.] ३६६ | अप्पउलिओसहभक्खणया अनन्तसुखविज्ञान- [द्वा.भा./११६] ६९०
[प्र.आ.सू./उपा.द.सू.७] १९१ अनशनमूनोदरता [प्र.र./१७५] ३६ | अप्पडिलेहिअदुप्पडिलेहिअ [उ.द.सू.७] २०४ अनागाढे ग्लानत्वे [प्र.सा./८०८वृ.] ५४१ | अप्पडिलेहिअदोसा, [प.व.२६२] ५०६ अनाद्यनन्तसंसारा- [यो.शा.१/१७व.] ५६ अप्पडिलेहियदोसा, अनाभोगतोऽपि [ल.वि.]
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[बृ.क.भा./१४५३] ७१४ अनित्ये चापरा- [ध.बि./११४] ४६ | | अप्पत्ते अकहित्ता, [ पञ्च./६१५] ६५८ अनियतविहारकल्पः, [षोड.२/६] ३० अप्पत्ते चिअ वासे, [ओ.नि./३५०] ५८७ अनुत्तरविमानानि, [ द्वा.भा./१०७] ६८९ | अप्पा असंथरंतो, अनेकजन्तुसङ्घात- [यो.शा.३/३६] १२८
[बृ.क.भा./३९८५] ६४२ अन्तर्मुहूर्तात् परतः, [यो.शा.३/३४] १२८ अप्पा उद्धरिओ [श्रा.दि./१०१] २९७ अन्नावणाहिगहिआ, [पञ्च./१३५०] ७३७ | अप्पाहार अवड्डा [अ.स.सी./४] ६९९ अन्ने पाणे सयणे [ ]
अप्पुव्वनाणगहणे, [ उप.प./५०२] ४३२ अन्ने पुण भणंति- [आ.चू.] ३०२ | अप्पेण बहुमेसेज्जा, [ ] ३६२
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