Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 02
Author(s): Shripad Krishna Belvalkar
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 214
________________ E. Sarasvata 201 सारप्रदीपिका Sarapradīpikā सारस्वतप्रक्रियाटीका Com. on Sārasvataprakriyā 328 No. 176 1875-76 Size — 10 in. by 44 in. Extent - 61 leaves, 15 lines to a page, 38 letters to a line. Description-Country paper, Devanagari characters with पृष्ठमात्राs, bold and legible writing generally correct. Margins ruled in black, square blanks in the centre. Complete. The Ms. was brought from Bikaner. Age-Samvat 1892. Author - Jagannatha. Subject — A commentary on Anubhūtisvarūpācārya's Sārasvata prakriya. Begins - श्रीसारदायै नमः ॥ श्रीलीलागतिचातुरीपरिलसत्प्रोदाममुक्तावलीयुक्तश्वेतदुकूलधारिचरणश्रीशोभितां भारती । नौमि ब्रह्ममयीं मुदा हृदि धृतां वीणां करे बिभ्रती ज्योत्स्नाकुंदसिताब्जचंद्रधवलां शुभ्राजसिंहासनां ॥१॥ नत्वा नृसिंहचरणौ ध्यात्वा सद्गुरुपंकजं । यथामतिमतैः क्लुप्तां कुर्वे सारप्रदीपिका ॥२॥ इह खलु विविधवैय्याकरणवर्यविप्रतिपत्तित्त्वाव्याकुलितश्रोतृजनमनःसमाधानाय परापरगुरुपरमदैवतपरमात्मप्रणतिमयनमस्कारपुरःसरं सरस्वतीप्रोक्तप्रक्रियाया आर्जवं प्रतिजानीते । प्रणम्येत्यादिना श्लोकेन ॥ मत्र क्षेमेंद्रेणाप्युक्तं प्रारिप्सिताविघ्नसमाप्तिशिष्टाचारावनाभ्यां प्रणतेष्टदेवाः। श्रोतृप्रवृत्त्यै विषयादि तावदाचार्यधुर्या इह संगिरते ॥१॥ अहं अनुभूतिस्वरूपाचार्यः सारस्वती प्रक्रियां etc. 'Ends - तेन मधुरायापीत पंकज इति पाठे सुगमं ॥ मतांतरेषु विशदान् गृहीत्वा शब्ददोरकान् । जगमाथेन विशदा कृता सारप्रदीपिका ॥१॥ 28 [Don.Cap Vol. II, Pt.II]

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