Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 02
Author(s): Shripad Krishna Belvalkar
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute
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E. Sarasvata
"259 बुधबाध्वागुरुशासनानतगुरूवा॒कृत्य गाधार्णवात् सत्सारस्वतनौश्रितः सुमति(त)दः श्रीपाणिनीयोत्सखः । सोहं साधु समुद्धरे सुमनसां संतोषयित्री सदा सत्कंठाभरणाय माधवसुधीः सिद्धांतरत्नावली ॥६॥ सारस्वतं मत्यनुसारतस्तत्प्रक्षेपकालुष्यनिरासहेतोः ।
व्याख्यानहं व्याकृतमल्पमल्पैस्यिो न च स्यां गुणगृह्यसद्भिः॥७॥ तत्र सारस्वतीप्रक्रियामृर्जु चिकीर्षुः श्रीमदनुभूतिस्वरूपाचार्य etc. In India office copy the 3rd verse comes, as it should,
before the 6th. Colophon - श्रीजानार्दनिवत्सराजतनयः श्रीकाकुनामासुतं
यं श्रीनायकदेविकापि सुधियं चाजीजनन्माधवं । तस्य व्याकरणार्णवैकतरणेः सारस्वतीयोत्तम
व्याख्यायामगमत्कृतोप्यवसतिं सिद्धांतरत्नावलीः ॥१॥ Ends - यत् सूत्रितं सूत्रकृता च चायैः विभ[ज्य योगं च मयानुमूलं ।
व्याख्यातमेतत्सुधियां सुखाय व्युत्पत्तये स्तोकधियामपीह ॥१॥ (टी)कांतरे भूयसि सत्यपीयं सारस्वतस्यास्ति मनो(मनोहरा । नानाविधे सत्यपि मृ(मि)ष्टवस्तुन्यहो सतामिष्टतमा सितैव ॥२॥
एतद्यथामति मयाल्पधियानुमूलं ... . व्याख्यायि विस्तरभयादिह किंचिदल्पम् ।
तत्साधु चेत्साधुभिरमधीभि
hष्यं न नूनमिति पापकरी ह्यसूया ॥३॥
इति श्रीभट्टमाधवविरचिता सिद्धांतरत्नावली नाम सारस्वतस्य टीका. Reference - India Office Catalogue No. 805, Rājendra Lal Mitra;
Notices, IX, p. 187.
पावली ॥१॥
..
मू..
.
सारस्वतीयशब्द
.. Sarasvatiyasabda-निष्पादनम्
nispādana
... 243 No. 222
1892-95 Size - 12 in. by 6 in. Extent -- 6 leaves, 9 lines to a page, about 48 letters to a line.
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