Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 02
Author(s): Shripad Krishna Belvalkar
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 287
________________ 274 Grammar The comm. ends -- इति सरस्वतीप्रणीता प्रक्रिया समाप्त्यर्थः । श्रीजानार्दनिवत्सराजतनयः श्रीकाहनामा सुतं यं श्रीनायकदेविकापि सुधियं प्राजीजनन्माधवम् । तस्य व्याकरणार्णवैकतरणेः सारस्वतीयोत्तमव्याख्या विष्णुमुदेऽस्तु सा विरतिमैत्सिद्धान्तरत्नावली ।। यत्सूचितं सूत्रकृता च वाद्यैर्विभज्य योगं च मयानुमूलम् । व्याख्यातमेतत्सुधियां सुखाय व्युत्पत्तये स्तोकधियामपीह ॥१॥ टीकान्तरे भूयसि स(?)त्यपीय सारस्वते स्यात्सुमनोमनोहरा । नानाविधे सत्यपि मिष्टवस्तुन्यहो सतामिष्टतमा सितैव ॥ २॥ एतद्यथामति मयाल्पधियानुमूलं व्याख्यायि विस्तरभयादिह किञ्चिदल्पम् । तत् साधु चेत्साधुभिरग्यधीभि(र) दूष्यं न नूत्नमिति पापकरी . ह्यसूया ॥३॥ इति श्रीभट्टमाधवविरचिता सिद्धान्तरत्नावली नाम सारस्वतस्य टोकन समाप्ता। सिद्धान्तरत्नावली सारस्वतप्रक्रियाटीका No. 239 Siddhāntaratnāvali Com. on Sārasvataprakriyā 135 1881-82 Size - 101 in. by4t in. Extent - 156 leaves, 15 lines to a page, 46 letters to a line. Description - Country paper. Devanāgari characters, clean and legible writing fairly accurate. Omissions occasionally supplied in the margins, and also in blank space at the top and the bottom also. Margins ruled in triple red lines except of the last 40 leaves. First leaf slightly damaged. Complete. Age-Samvat 1817. Ends - इति श्रीमाधवभट्टविरचिता सिद्धांतरस्नावली नाम्ना(नी) सारस्वतटीका समाता । प्रत्यक्षरगणनया ग्रंथमान ७५७५ ॥ श्रीभवतात् ॥

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