Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 02
Author(s): Shripad Krishna Belvalkar
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute
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G. Minor ... विना व्याकरणं वाणी रमणी रमणं विना ।
विवेकं च विना लक्ष्मीन सुखाय कदाचन ॥ ३१॥ "".". क्रियाकारकसंबंधज्ञानमुत्पद्यते यया। उत्कृष्टा प्रक्रिया सेयं त्वया संप्रति पठ्यतां ॥३४॥ प्रबोधचंद्रिका नाम रामचंद्रसमाश्रिता । भज्ञानतिमिरध्वंसकारिणी चित्तहारिणी ॥ ३५॥ बहवः प्रक्रियाग्रंथाः संति चेत्संतु का क्षितिः । मालतीमधु न कापि मधुपानामनादृतम् ॥ ३६ ॥
विभक्तिज्ञानतो यस्मात्प्रबोधः प्रतिपद्यते । ..
तस्मादिह प्रथमतो विभक्तिः प्रतिपाद्यते ॥ ३७॥ The work consists in order of the following parts - (1) स्यादिचंद्रिका verses 1-92 (2) त्यादिचंद्रिका verses 1-31 (3) कारकचंद्रिका verses 1-56 (4) अनुक्तचंद्रिका verses 1-67 (5) समासचंद्रिका verses 1-40 (6) तद्धित्चंद्रिका verses 1-39 (7) कृदंत section verses 1-36
(8) संधिचंद्रिका verses 1-70. Ends - ग्रंथस्य गौरवभयान्मया नोक्तं सविस्तरम् ।
एषा विशेषसुभगा समाप्ता संधिचंद्रिका ॥ ६९ ॥
प्रबोधचंद्रिकायां च कृतौ वैजलभूपतेः । - शाब्दीदृष्टिं(?) विवृध्यर्थ(थ) ग्राह्या विद्वनिरादरात् ॥ ७० ॥
मिति श्रावणमासे कृष्णपक्षे तिथौ प्रतुपदे चंद्रवासरे संवत्सरे ९२०१।The rest giving the name of the scribe and the owner of
the Ms. is besmeared with red paint and is hardly legible. Reference - India Office Catalogue No. 898. Rājendra Lal Mitra,
Notices, Vol. VIII, No. 2558.
Prabodhacandrikā with the com. Subodhini
प्रबोधचन्द्रिका सुबोधिनीसहिता
No. 250 Size - 131 in. by-5 .in...........
510
1886-92
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