Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 02
Author(s): Shripad Krishna Belvalkar
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 279
________________ 266 Grammar प्रारिप्सितनिरंतरायपरिसमाप्तये विहितं मंगलं शिष्यशिक्षा निवार चिकीर्षितं प्रतिजानीते नमस्कृत्येत्यादिना अहं रामाश्रमः वाणीप्रणीतसूत्राणां सिद्धांतचंद्रिकां कुर्वे । The end of gafé is as follows: Text - दात्यौहः दार्घसत्रं श्रायसं इति तद्धितप्रक्रिया इति श्रीरामचंद्राश्रमविर चितायां सिद्धांतचंद्रिकायां पूर्वाधं संपूर्णम् ॥ (fol. 160b). Com. - अत्राप्यादिस्वरस्यात्वं निपात्यते। सिद्धांतचंद्रिकाव्याख्या या त्वियं तत्त्वदीपिका । तत्पूर्वार्धमभूत्पूर्ण तेन हृष्यति पार्वती ॥ इति श्रीलोकेशकर विरचितायां सिद्धांतचंद्रिकान्याख्यायां तत्त्वदीपिकायां पूर्वाध समाप्तम् ॥ श्रीरामकरपौत्रेण लोकेशकरशर्मणा । कृतायामिह टीकायां तद्धितव्याकृतिर्गता ।। इति तद्धितप्रक्रिया समाप्ता ॥ . In the Ms. the text ends thus : स्वरादेः पर इति पक्षे ऐषिष्यत् इति त्र्यंप्रक्रिया ॥ and the Com. -तेन प्रार्थयंति शयनोत्थितमित्यादि सिद्धम् । कृताया मित्यादि पूर्ववत् ॥ Reference - Same as in No. 223 above. Also see Catalogus Catalogorum, Vol, I, p. 700 for other manuscripts of Tattvadipikā. सिद्धान्तरत्न Siddhāntaratna 244 No. 229 1892-95 Size - 94 in. by 54 in. Extent -- 74 leaves, 7 lines to a page, about 24 letters to a line. Description - Country paper. The first 10 pages are on an older paper than the rest and are also written by a careless hand. Nos. 9 and 10 are given to the same leaf in the

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