Book Title: Dan Amrutmayi Parampara
Author(s): Pritam Singhvi
Publisher: Parshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan
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ऐं नमः
दानः सनातन संस्कृति
अखिल विश्वमें अहिंसा की आलबेल पुकारकर विश्वशांति का राह बतानेवाला जिनशासन तब ही।
साकार हुआ जब तीर्थंकर भगवंतोने ___ अपने पवित्रमुखकमलसे देशना का दान जगज्जनता को
दीया ! इसी अहिंसा के संदेश को अपनी समग्र जीवनचर्या में ग्रथित करके विश्वसंन्यासीसमाजमें अपना अनूठा और अजोड़ गौरव प्रस्थापित करनेवाले जैनसाधुओं की गरिमा का प्रासाद भी अभयदान के
स्तम्भ पर खड़ा है। सम्राट संप्रति हो कि सम्राट कुमारपाल ! मंत्रीश्वर वस्तुपाल हो कि मंत्रीश्वर विमल !
सभीने अपूर्व स्थापत्योंके सृजन से