Book Title: Chinta Krodh aur Tanav Mukti ke Saral Upay
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 50
________________ चिंता ने घेर लिया था। परिणामस्वरूप कुछ ही दिनों में उसकी आँखें तेजी से झपकने लगी और उसकी बोलने की शक्ति भी कमजोर होने लगी। चिंताग्रस्त व्यक्ति कई प्रकार की मानसिक उलझनों में फँसा रहता है। अपनी बीमारी का परिचय वह स्वयं ही औरों को देता है। कभी कहता है कि 'मुझे किसी काम में रूचि नहीं रही और मेरा मूड हर समय खराब रहता है। जैसा मैं पहले था, वैसा अब न रहा। पता नहीं, मेरे मन को क्या हो गया है? वह हर बात में यही जिक्र करता है कि अब मैं जीने योग्य नहीं रहा और कभी भी मर सकता हूँ। ऐसा व्यक्ति बुज़दिल और चिड़चिड़े स्वभाव का तो होता ही है, साथ में वह अपने-आपको बहुत दुःखी अनुभव करता है। वह खुद तो परेशान रहता ही है, अपनी उपस्थिति से औरों को भी परेशान करता रहता है। अगर कोई आपको शिकायत करे कि मेरी याददाश्त कमजोर हो रही है तो समझलो कि जरूर वह किसी चिंता का शिकार हो चुका है। आखिर कैसे बचें चिंता से अगर उपाय किये जाएँ तो इसका उत्तर बड़ा सरल है अन्यथा यह बड़ा पेचीदा प्रश्न है। चिंतामुक्ति के लिए कुछ उपायों पर अमल किया जा सकता है जो हमें धीरे-धीरे इस भंवर से बाहर ला सकते हैं। जिएँ वर्तमान में यह समझें कि चिंता-मुक्ति के लिए यह बेहतरीन टॉनिक है। अतीत की स्मृतियाँ और भविष्य की कल्पनाएँ जहाँ हमारी चिंता और हमारे तनाव को बढ़ावा देती हैं वहीं वर्तमान का चिंतन हमें चिंता से छुटकारा दिला सकता है। जैसे ही व्यक्ति वर्तमानजीवी होता है, वह ज्यादा सोचने की बजाय कुछ करने में विश्वास रखता है। जो बीत गया है उसे वापस लौटाया नहीं जा सकता और जो होने वाला है, होकर ही रहता है। फिर व्यर्थ का तनाव क्यों? मेरे पास एक ऐसे व्यक्ति को लाया गया जो पहले काफी सम्पन्न था लेकिन संयोग से उसके किसी पार्टनर ने उसे धोखा दे दिया और उसकी आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई। उसके बावजूद भी उसके जीवनयापन Jain Education International For Person42 Private Use Only www.jainelibrary.org

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