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अवश्य करें। जैसे हम कई देवी-देवताओं की आराधना के लिए, व्रत करने के लिए अलग-अलग वार का चयन करते हैं, ऐसे ही सप्ताह में एक दिन अपने मन की शांति के लिए एक व्रत करने का चयन करें और व्रत करें क्रोध-मुक्ति का। सुबह उठते ही नियम ले लें कि अब चौबीस घंटों के दौरान कैसा भी विपरीत वातावरण क्यों न बन जाए पर मैं किसी भी स्थिति में गुस्सा नहीं करूँगा। आप अनुभव करेंगे कि इससे आपके अन्तर्मन में एक विशेष प्रकार की शांति अनुभव हो रही है।
जैसे चौबीस घंटे के लिए भोजन का त्याग करना उपवास कहलाता है इसी तरह चौबीस घंटे तक क्रोध का त्याग करना भी उपवास ही है। यह एक अच्छा उपवास है जिससे हम स्वयं को एवं पूरे परिवार को एक दिन के लिए शांति का सुकून प्रदान कर सकते हैं। संभव है कि जिस दिन
आपके क्रोध न करने का नियम लिया हुआ है उसी दिन संयोगवश कोई विपरीत टिप्पणी सुनने को मिल जाए तो उसे नजर अंदाज करने की कोशिश करें। हो सकता है हमारी शांति को कोई चुनौति मिले पर उसका सामना करने का पुरुषार्थ दिखाएँ। सहनशीलता से एक ओर जहाँ हमारे जीवन में गंभीरता आएगी वहीं हम आत्म संयमी बन सकेंगे। सहनशीलता औरों के क्रोध को ठण्डा भी तो कर देती है।
जो लोग अपने जीवन में क्रोध से छुटकारा पाना चाहते हैं उन्हें प्रतिदिन मौन रखने का भी अभ्यास करना चाहिए। मौन जहाँ हमारी वाणी को विश्राम देता है वहीं विपरीत वातावरण में हमें तटस्थ रहने का अवसर प्रदान करता है। किसी भी व्यक्ति के लिए चार घंटे तक बोलना सरल होता है पर चार घंटा चुप रहना मुश्किल । विपरीत वातावरण में हमारा मौन हमारे लिए बचाव का काम कर सकता है। ऐसे अवसर पर किसी के चीखनेचिल्लाने पर भी हमारा मौन हमें आत्म विवेक का बोध देता रहता है। पेट्रोल नहीं : पानी बनें
ये बिन्दु हुए स्वयं के क्रोध से बचने के लिए। कई बार दिक्कत यह खड़ी हो जाती है कि अगर दूसरा हम पर क्रोध कर रहा हो या हमारे साथ गलत व्यवहार कर रहा हो उस समय क्या किया जाय? मैं पहला संकेत देना चाहूँगा कि हर क्रोध का जवाब मुस्कान से दो। संभव है सामने
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