Book Title: Chinta Krodh aur Tanav Mukti ke Saral Upay
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 126
________________ वातावरण में भी अन्तर्मन में सहज मुस्कान बनाए रखना प्रसन्नता के दो फूल खिलाने की तरह है । कैसा भी और कितना भी तनाव या काम का बोझ बढ़ जाए तब भी खुद को खुश ही रखने का प्रयास करें। मैंने एक संस्था में देखा एक अधिकारी स्वयं को तो खुश रखते ही थे किन्तु अपने अधिनस्थ कर्मचारियों को भी खुश रखने का प्रयास करते रहते थे । यदि कोई आडा - टेढ़ा काम आ भी जाता तो वे मजाक के लहजे में कहते- 'अरे यह काम करना ज्यादा मुश्किल थोड़े ही है । तुम तो भिड़ जाओ इस काम को करने के लिए । ' जीवन में कई बार निःस्वार्थ कार्य करके भी व्यक्ति खुशियों को प्राप्त करता है। जैसे आपके बच्चे का जन्मदिन है, बजाय इसके कि आप अपने दोस्तों और परिचितों को इकट्ठा करके किसी होटल में जाकर पाँच हजार रुपये पानी करें, यदि किसी अनाथालय, सार्वजनिक अस्पताल अथवा ऐसे ही किसी स्थान पर इन रुपयों को खर्च करें तो आप चिरस्थायी खुशियाँ पा सकते हैं। मैं अपनी ओर से आपको नेक सलाह देना चाहूँगा कि यदि आपने पिछले वर्ष अपनी संतान के जन्मदिन पर घूमने-फिरने, खान-पान में दो हजार खर्च किये हैं तो इस वर्ष आप इन सब कार्यों में खर्च करने की बजाय अपने बच्चे को साथ लेकर किसी अनाथालय, कोढीखाना अथवा ऐसे ही किसी स्थान पर जाएँ और अपने बच्चे के हाथों से उन सबको भोजन करवाएँ। किसी झोंपड़पट्टी में जाकर आप जरूरतमंद बच्चों को कपड़े दें। उन्हें पढ़ने और लिखने के साधन दें और कुछ नहीं तो कम से कम किसी अस्पताल में ही चले जाएँ आप और किसी ऐसे रोगी की तलाश कर लें जिसको दवा की आवश्यकता हो पर आर्थिक अभाव में वह उसकी व्यवस्था न कर पा रहा हो। आप उसको अपने बेटे के हाथ से दवा दिलवाएँ। किसी गरीब व्यक्ति का अगर कोई ऑपरेशन होने वाला है और उसके पास आवश्यक व्यवस्था नहीं है तो आप अपने पुत्र के जन्मदिन पर वास्तविक खुशियाँ पा सकते हैं उसका ऑपरेशन अपनी ओर से करवा करके। आपकी दवा के बदले उस रोगी के द्वारा दी गई दुआएँ Jain Education International 125 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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