Book Title: Chinta Krodh aur Tanav Mukti ke Saral Upay
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 134
________________ संयम में रख सकें तो पक्का जानिए कि आप साधु हैं । आप दुकान पर बैठे हैं कि एक ग्रामीण-सा, भोलाभाला-सा व्यक्ति आपकी दुकान पर आया। उसने सामान खरीदा और सौ की जगह पाँच सौ का नोट आपको दे दिया, ऐसे में आपके अंदर लोभ की वृत्ति न जगे और आप यह सोचें कि यह गलत है। मैं बेईमानी का धन घर में नहीं ले जाऊँगा। आपने उसे चार सौ रुपए वापस लौटा दिये, यह आपकी साधुता है । जब तुम्हें सड़क पर पांच का नोट मिलता है तो तुम सबको दिखाकर पूछते हो कि यह नोट किसका है? तुम्हारी साधुता तो इसमें है कि जब तुम्हें पाँच सौ का भी नोट मिले तब भी तुम सबसे पूछो कि यह किसका नोट है ? हम ईमानदार तभी तक हैं जब तक बेईमानी का मौका न मिले। बेइमानी का मौका मिलते ही ईमानदारी गधे के सिर से सींग की तरह गायब हो जाती है। और तो और ऐसी पत्नी भी खोजना मुश्किल है जिसने कभी-न-कभी अपने पति के जेब में से चुपके से रुपये गायब न किये हों। करोड़पति की पत्नी भी क्यों न हो पर उसने कभी-न-कभी पति की जेब जरूर साफ की होगी। आप बताएं आप में से कौन व्यक्ति ऐसा है जिसने बचपन में अपने पिता की जेब या मम्मी के पर्स में चपके से पैसे निकालकर टाफी न खायी, आइसक्रीम न खायी हो। शायद मैंने भी कभी-न-कभी बचपन में ऐसा किया ही होगा। जिन्होंने बड़ी चोरियाँ की वे उद्योगपति कहलाने लगे। जिन्होंने छोटी-मोटी चोरियां की वे छोटे व्यापारी बन गये और जिन्हें बेईमानी का मौका भी न मिला वे सब मजबूरी में ईमानदार बन गये और अपनी पीठ थप-थपाने लगे। हमारी ईमानदारी की हालत बड़ी दयनीय है। हमारी मर्यादाएं और मूल्य गिरते जा रहे हैं, न हम भ्रष्टाचार के भूत से डरते हैं और न ही चरित्रहीनता की चुडैल से। मेरी बात आपके मन का मनोरंजन कर देगी पर मैंने देखा, एक शहर में दीवार पर पोस्टर लगे थे, कांग्रेस को वोट दो, भाजपा को वोट दो, बसपा को वोट दो, इन्हीं चुनावी पोस्टरों के नीचे एक फिल्मी पोस्टर लगा था जिस पर लिखा था, हम सब चोर हैं। Jain Education International 133 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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