Book Title: Chinta Krodh aur Tanav Mukti ke Saral Upay
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 70
________________ लगे हैं। जिस प्रेमिका पर आप अपनी जान न्यौछावर कर रहे थे, उसी पर तेजाब फेंक बैठे। जिससे आप बात करने के लिए तरसते थे, आज उससे बात करने को तैयार नहीं है। जिसे घंटों निहारा करते थे आज वह फूटी आँख भी नहीं सुहाता है । हम रोज समाचार-पत्रों में पढ़ते रहते हैं कि गुस्से में किस आदमी ने कितना बड़ा अनर्थ कर दिया ? कभी पिता अपने पुत्र पर ही गोली चला देता है तो कभी पुत्र अपने पिता का कत्ल कर देता है। कभी कोई महिला खुद पर ही केरोसिन छिड़क कर आग लगा लेती है तो कभी कोई लड़की फाँसी पर लटक कर आत्महत्या कर लेती है । पता नहीं, ऐसी कितनी ही घटनाएँ रोज़ होती हैं । कभी औरों के घर में, कभी खुद के घर में । अगर व्यक्ति क्रोधजनित परिणामों को याद कर ले तो तनाव भरे माहौल में भी वह अपने आपको बचा सकता है । अगर आपको गुस्सा आया है तो आप सावधान हो जाइए। आप खड़े हैं तो तत्काल बैठ जाएं ताकि उसके बाद गुस्सा केवल जबान से ही व्यक्त होगा। बैठे हैं तो लेट जाएँ। अगर फिर भी लगता है कि तुम्हारा क्रोध शांत नहीं हो रहा है तो झट से फ्रिज खोल कर एक बोतल ठंडा पानी पी लें। आप अनुभव करेंगे कि ऐसा करके आप बड़ी हानि से बच गए हैं। गुस्सा करें, मगर प्यार से क्रोध - मुक्ति का एक और उपाय है : 'बोध पूर्वक बोलो और कार्य करो।' अगर आपको लगे कि बिना बोले काम नहीं चलेगा तो आप सावधानी से अपनी बात को व्यक्त करें । सामने वाला भले ही समझे कि आप गुस्सा कर रहे हैं पर आप भीतर से सचेत रहें। आपका गुस्सा किसी भी तरह से कोई नुकसान न कर बैठे। हम कई बार ट्रकों के पीछे लिखी हुई बड़ी अच्छी बातों को पढ़ा करते हैं। एक बात मैंने कई ट्रकों के पीछे पढ़ी है – ‘देखो मगर प्यार से ' । गुस्से के साथ भी उसी को जोड़ लो । गुस्सा भी करो तो प्यार से करो । जैसे ही अन्तर्मन में प्यार उभरेगा तो गुस्सा अपने आप गायब हो जाएगा । गुस्से से बचने के लिए एक और उपाय किया जा सकता है । किसी अन्य कार्य में लग जाएँ । लगे, गुस्से में बोलचाल तो बंद हो गई Jain Education International 69 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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