Book Title: Chinta Krodh aur Tanav Mukti ke Saral Upay
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 85
________________ याद रखें, ताला दो तरह से खुलता है - एक चोट से, दूसरा चाबी से। अहंकार और क्रोध हथौड़े हैं जो टक्कर मारते हैं और प्रेम रूपी ताले को तोड़ डालते हैं। आप अपने अहंकार और क्रोध से एक बार तो किसी से काम करवा सकते हैं लेकिन अन्ततः वह आपसे टूट जाएगा। दूसरा गुण है - प्रेम और विनम्रता - जिससे व्यक्ति जीवनभर अपने काम करवा सकता है। झुकता वही है जिसमें जान है। अरे, अकड़पन तो मुर्दे की पहचान है। जिनके जीवन से भीतर का सत्य निकल जाता है, वे लोग हमेशा अकड़े ही रहते हैं ! याद रखें, अहंकार के हथौड़े से ताला टूटता है, वहीं प्रेम की चाबी से ताला खुलता है। जिसमें लघुता का भाव है, विनम्रता है, उसी में प्रभुता का बसेरा होता है। जिसमें अहंकार भरा है, वह चाहे जितनी पूजा, आराधना, तपस्या करता रहे परमात्मा उसके भीतर कभी साकार नहीं हो सकते। खाली घड़ा, पानी में चाहे जब तक पड़ा रहे, लेकिन वह तब तक नहीं भरता है जब तक वह झुकने को तैयार नहीं होता है। ज्ञान और अहंकार परस्पर दुश्मन हैं। जीवन में विनम्रता, सदाशयता लाएँ, तभी जीवन सुचारु ढंग से चल सकेगा। अपने जीवन की गाड़ी की धुरी में विनम्रता और सदाशयता का ग्रीस लगाएं ताकि गाड़ी बिना आवाज किये आराम से चल सके। जीवन की गाड़ी गति से चले इसलिये विनम्र बनें रहें अन्यथा खटरखटर की आवाज आती रहेगी। जीभ नरम रहती है, कोमल होती है अतः जन्म से मिलती है और मृत्यु तक रहती है, पर दाँत कठोर होते हैं अतः जन्म के बाद मिलते हैं और मृत्यु से पहले टूट जाते हैं। विनम्रता के तीन लक्षण हैं- कड़वी बात का मधुर जवाब दें, क्रोध के वातावरण में चुप्पी साध लें और किसी गलती पर मन में क्षमा भाव को स्थान दें। शरीर में स्वास्थ्य रहे, मन में आनंद रहे, बुद्धि में सद्ज्ञान रहे और अहंकार में विनम्रता रहे। वे लोग ही महानता उपलब्ध कर पाते हैं जो विनम्र हैं। उन्हीं की पूजा होती है जो विनम्र होते हैं। आप जितने बड़े हैं उतने ही छोटे काम करने को तत्पर रहिए। आपको याद होगा कि जब पांडवों ने राजसूय यज्ञ किया था तो श्री कृष्ण ने उनसे पूछा कि उन्हें क्या कार्य दिया जाएगा? पांडवों ने कहा, 'हम आपको क्या जवाबदारी सौंप सकते है ? आप जो भी 04 Jain Education International For Personal Private Use Only www.jainelibrary.org

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