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अपने घर में प्रेम और शांति का माहौल रखो। घर में एक व्यक्ति गुस्सा कर रहा है तो दूसरा प्रसन्न रहे, शांति और धीरज रखे। यह तो ऊपर वाले को धन्यवाद है कि वह जब भी जोड़ी मिलाता है तो एक न एक को शांत बनाता है। अगर पत्नी गुस्सैल है तो पति शांत होता है और पति गुस्सैल है तो पत्नी शांत स्वभाव की होती है। कल्पना करें उस घर की जहाँ दोनों ही गुस्सैल होते हैं। क्या उस घर में कभी स्वर्ग की कल्पना भी की जा सकती है? क्या उनके घर में कभी शांति की बात सोची भी जा सकती है?
____ मुझे याद है, एक कॉलोनी में एक दंपत्ति आकर रहने लगे। दोचार दिन तक रहे। कॉलोनी वाले सोचते, गजब का घर है जहाँ से प्रायः हँसी की आवाजें ही आती हैं। दोनों बड़े प्रेम से रहते हैं। घरों में सासबहू, पिता-पुत्र, पति-पत्नी के बीच कुछ न कुछ बोलचाल तो होती है तो आवाजें भी आती हैं, रोने की, चिल्लाने की। पर इस घर से ऐसी आवाज नहीं आई। एक दिन, सांझ का समय था। कॉलोनी के लोग खड़े थे। संयोग से वह व्यक्ति उधर से निकला। लोगों ने उसे रोका और पूछा, 'क्या बात है भाई, तुम्हारा घर तो अद्भुत है। हमने जब भी सुना तुम्हारे घर से हँसने की आवाज ही आती है। तुम्हारे घर से कभी चीखने-चिल्लाने
और रोने की आवाज क्यों नहीं आती ?' उस व्यक्ति ने बताया – ‘बात यह है कि मेरी पत्नी बड़ी गुस्सैल है। गुस्से में जो भी चीज इसके हाथ पड़ती है वह मुझ पर फेंक मारती है।' 'तो इसमें हँसने की क्या बात है?' - लोगों ने पूछा। 'अरे, यही तो राज की बात है कि जब उसका निशाना ठीक लगता है तो वह हँसती है और जब उसका निशाना चूक जाता है तो मैं हँसता हूँ' - उसने बताया।
___ सामने वाला गुस्सा करे तो उसे सहन करने की आदत डालो, दूसरा गलती करे तो उसे नजर-अन्दाज करो। खुद से गलती हो जाए तो उसे सहज में स्वीकार करो। जीवन से चाहे जो चला जाए पर एक चीज न जाए और वह है, अपने अन्तर्मन की प्रसन्नता । क्रोध व आवेश के क्षणों में आपा खोना मनुष्य का स्वभाव है। पर इससे ऊपर है ज्ञात-अज्ञात में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगना या सामने वाले को क्षमा करना। यह
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